रिवर्शन के बाद प्रदेश के किसी भी विभाग में दलित समाज का विभागाध्यक्ष नहीं

लखनऊ: आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उ0प्र0 द्वारा लोकसभा से लम्बित पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन बिल को पास कराने व उ0प्र0 सरकार द्वारा किये जा रहे दलित उत्पीड़न पर चर्चा करने के लिए संघर्ष समिति की प्रान्तीय संयोजक मण्डल की आज एक आपात बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें प्रदेश के सभी विभागों की स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया। संघर्ष समिति के नेताओं ने इस बात पर घोर चिन्ता व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट आदेश की आड़ में हजारों दलित कर्मियों को रिवर्ट किया गया, जिसके चलते विभागों में दलित कार्मिकों का प्रतिनिधित्व लगभग नगण्य सा हो गया है। ऐसे में उ0प्र0 सरकार जिन 57 दलित विधायकों की बदौलत चल रही है, उनकी चुप्पी कब टूटेगी यह अपने आप में घोर चिन्तनीय है। समय रहते सपा के 57 दलित विधायकों द्वारा उत्पीड़न को रोकने के लिए सार्थक कदम नहीं उठाये जाते तो वह दिन दूर नहीं जब आरक्षण समर्थक सपा को भी आरक्षित विधानसभा सीटों पर नगण्य की स्थिति में पहुंचा देंगे।   

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उ0प्र0 के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, इं0 के0बी0 राम, डा0 राम शब्द जैसवारा, आर0पी0 केन, अनिल कुमार, श्याम लाल, अन्जनी कुमार, रीना रजक, जितेन्द्र कुमार, अशोक सोनकर, प्रेम चन्द्र व बनी सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में वर्तमान में समूह-क व ख जो सीधे पदोन्नति से भरे जाने वाले पद हैं, आज उ0प्र0 में विभागवार उन पर गौर किया जाय तो स्थिति काफी भयावह है। उदाहरण के तौर पर कुछ विभागों के आंकड़ों से स्वतः स्पष्ट है कि उ0प्र0 में दलित कार्मिकों का उत्पीड़न चरम पर है। जहां विभागों में पदवार 23 प्रतिशत का मानक होना चाहिए, वहां स्थिति बहुत ही कम है। ऐसे में उ0प्र0 सरकार को स्वतः गलत तरीके से रिवर्ट किये गये दलित कार्मिकों को न्याय दिलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना चाहिए।

विभाग                                        समूह-क(रिवर्शन के बाद)       समूह-ख (रिवर्शन के बाद)

सरकारी विभागों में विभागाध्यक्ष शून्य–

उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल                   1.97 प्रतिशत                    6.79 प्रतिशत

उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड                  5.5 प्रतिशत                      7.5 प्रतिशत

वाणिज्य कर                                  11 प्रतिशत                       10 प्रतिशत

ऊर्जा विभाग                                  13 प्रतिशत                       09 प्रतिशत

कृषि विभाग                                  10 प्रतिशत                       12 प्रतिशत

भू तत्व खनिकर्म                             09 प्रतिशत                       06 प्रतिशत

शिक्षा विभाग                                 13 प्रतिशत                       12 प्रतिशत

जल निगम                                   6.67 प्रतिशत                    7.30 प्रतिशत