मुख्यमंत्री ने अनाथ बच्चों पर केन्द्रित पुस्तक ‘वीकेस्ट आॅन अर्थ-आॅर्फन्स आॅफ इण्डिया’ लाँच की

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि अनाथ बच्चों की मदद के लिए हम सभी को आगे आना होगा, क्योंकि उनकी परवरिश करने के लिए उनके माँ-बाप मौजूद नहीं हैं। यह दुःख की बात है कि जिस समय छोटे बच्चों को परवरिश के लिए माँ-बाप की आवश्यकता होती है, उस समय कुछ बच्चे अनाथ हो चुके होते हैं। ऐसे में हमें उनकी पढ़ाई-लिखाई, लालन-पालन इत्यादि की व्यवस्था के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस कार्य के लिए पूर्ण सक्षम है। आवश्यकता इस बात की है कि पूरा सरकारी तंत्र इस समस्या पर ध्यान केन्द्रित करे और अनाथों की पूरी मदद करे। 

मुख्यमंत्री ने यह विचार आज यहां 5, कालिदास मार्ग पर स्थित नए जनता दर्शन हाॅल में अमन्द शुक्ला तथा पौलोमी पावनी द्वारा लिखित तथा ब्लूम्स्बेरी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘वीकेस्ट आॅन अर्थ-आॅर्फन्स आॅफ इण्डिया’ के लाँच के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य सुधारे बिना हमारा विकास अधूरा है। अनाथ बच्चों के लिए बहुत सारे प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने इस पुस्तक के लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि यह पहला प्रयास है जिसमें अनाथों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। 

श्री यादव ने कहा कि अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी सरकार की है और इनकी हर सम्भव मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि समाजवादी सबकी मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि इन बच्चों में से कुछ के माँ-बाप कहीं न कहीं मौजूद हो सकते हैं, परन्तु किन्हीं कारणोंवश उन्होंने इन्हें त्याग दिया होगा। यदि वे अब अपने बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएंगे तो उनकी हर सम्भव सहायता की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के माँ-बाप का पता लगाकर इन्हंे उनके पास भेजा जाएगा और आर्थिक मदद भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अनाथालयों में मौजूद सुविधाओं को सुधारा जाएगा, ताकि अनाथों को कोई दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित ‘1090’ विमेन पावर लाइन तथा डायल ‘100’ में ऐसे बच्चों के सम्बन्ध में सूचनाएं प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ बच्चों को छात्रवृत्ति उपलब्ध करायी जाएगी और इनके लिए बजट में व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, इनका भविष्य बेहतर बनाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम के साथ इन्हें जोड़ा जाएगा, ताकि बड़े होकर ये सक्षम बन सकंे। उन्हांेने कहा कि हम सबके सम्मिलित प्रयास से इन अनाथ बच्चों के जीवन में खुशहाली लायी जा सकती है। 

पुस्तक के विषय में श्री यादव ने कहा कि इसमें सरकार की भूमिका की कल्पना एक गार्जियन के तौर पर की गई है, जिससे वे सहमत हैं, क्योंकि सरकार ही अनाथ बच्चों की पूरी तरह से सहायता कर सकती है। उन्होंने अनाथों के पालन-पोषण को अधिकार बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कार्यक्रम बनाने होंगे, ताकि उनका सही तरीके से पालन-पोषण हो और वे भी दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सकें। अनाथ बच्चों के लिए आरक्षण की व्यवस्था एक न्यायपूर्ण विकल्प हो सकता है। इस पर गम्भीरता से विचार-विमर्श करना जरूरी है। 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री एवं सांसद श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अनाथ बच्चों के लिए पढ़ाई, दवाई, रहने-खाने आदि की मुकम्मल व्यवस्था होनी चाहिए। इस पुस्तक के लेखकों ने एक सराहनीय प्रयास किया है और सभी का ध्यान अनाथों की समस्याओं के प्रति आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारों को इस समस्या पर ध्यान देना होगा, और विधायकों, ग्राम प्रधानों, समाजसेवियों, कार्यकर्ताआंे, प्रशासनिक अमले की मदद से अनाथों की मदद करनी होगी। उन्होंने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में समाज का बुद्धिजीवी वर्ग मौजूद है और अगर यह सभी लोग सम्मिलित प्रयास करेंगे तो इस समस्या का समाधान प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। समाज से हर प्रकार की गैर-बराबरी समाप्त करनी होगी। उन्होंने कहा कि पुस्तक के अनुसार भारत में 02 करोड़ अनाथ बच्चे हैं, जिनकी हम सबको मदद करनी होगी। 

कार्यक्रम को लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव, पूर्व न्यायाधीश विष्णु सहाय, मुख्य सचिव आलोक रंजन, पुस्तक की सहलेखिका पौलोमी पावनी ने भी सम्बोधित किया।