नई दिल्ली: नामी-गिरामी लेखकों-साहित्यकारों और फिल्मकारों द्वारा देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के खिलाफ अपने पुरस्कार और सम्मान लौटाए जाने की कड़ी में बॉलीवुड फिल्मकार कुंदन शाह और सईद मिर्ज़ा समेत 24 लोग शामिल हो गए हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए हैं।

इन 24 लोगों में वीरेंद्र सैनी, सईद मिर्ज़ा, कुंदन शाह, अरुंधति रॉय, रंजन पालित, तपन बोस, श्रीप्रकाश, संजय काक, प्रदीप कृष्ण, तरुण भरतिया, अमिताभ चक्रवर्ती, मधुश्री दत्ता, अनवर जमाल, अजय रैना, इरीन धर मलिक, पीएम सतीश, सत्यराय नागपाल, मनोज लोबो, रफीक इलियास, सुधीर पलसाने, विवेक सच्चिदानंद, सुधाकर रेड्डी यक्कांति, डॉ मनोज निथारवाल और अभिमन्यु डांगे शामिल हैं।

राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ बनाने वाले कुंदन शाह ने कहा, “आज के माहौल में नेशनल फिल्म अवार्ड जीतने वाली ‘जाने भी दो यारों’ बनाना नामुमकिन है… एक अंधकार-सा बढ़ता जा रहा है, और इससे पहले कि इस अंधकार की स्याही पूरे देश में छा जाए, हमें आवाज़ बुलंद करनी होगी… यह कांग्रेस या बीजेपी की बात नहीं, क्योंकि हमारे लिए दोनों एक जैसे हैं… मेरा सीरियल ‘पुलिस स्टेशन’ कांग्रेस ने बैन किया था…”

उधर, ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ के निर्देशक सईद मिर्ज़ा ने भी असहिष्णुता के खिलाफ अपना अवार्ड वापस करने का ऐलान किया है। सईद मिर्ज़ा को ‘मोहन जोशी हाज़िर हो’ और ‘नसीम’ फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि इन दोनों दिग्गजों से पहले दीपांकर बनर्जी, निष्ठा जैन तथा आनंद पटवर्धन समेत 11 अन्य फिल्मकार भी अपने अवार्ड वापस कर चुके हैं।