लखनऊ: विकास के एजेंडे को समय से तैयार कराने के सम्बन्ध में आज मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। दिशा-निर्देशों के अनुसार विकास एजेण्डे में ऐसे बिन्दुओं को समाहित किया जाए, जिससे प्रदेश और जनता को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। साथ ही, वर्ष 2015-16 के विकास एजेण्डे में शामिल बिन्दुओं की समीक्षा भी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें जो बिन्दु पूर्ण हो चुके हैं, उन बिन्दुओं को आगामी वर्ष हेतु शामिल न किया जाए, परन्तु प्रगामी प्रकृति के ऐसे बिन्दु जो प्रदेश के विकास की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण समझे जाएं, उनको आगामी वर्ष की सूची में शामिल कर लिया जाए। 

दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि यदि किसी विभाग द्वारा कोई नीति अथवा अधिनियम बनाया जाना प्रस्तावित है, तो उसे एजेण्डे में शामिल किया जाए। यदि विभाग द्वारा कोई नई महत्वाकांक्षी योजना, कार्यक्रम अथवा बड़ी परियोजना प्रस्तावित हो, तो उसे भी आगामी वर्ष के विकास एजेण्डे में शामिल किया जाए। यदि विभाग द्वारा कोई शासकीय सेवा या सुविधा जनता को उपलब्ध कराई जाती है तो उसकी प्रक्रिया के सरलीकरण अथवा आई0टी0 के माध्यम से उनको प्रभावशाली एवं पारदर्शी बनाने का बिन्दु शामिल किया जाए।

विकास एजेण्डा वर्ष 2015-16 के बिन्दुुओं की प्रगति पर चर्चा करते हुए आगामी वर्ष 2016-17 का विकास एजेण्डा निर्धारित करने हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठकें शीघ्र ही आयोजित की जाएंगी, जिनमें विकास एजेण्डा वर्ष 2016-17 में सम्मिलित किए जाने वाले बिन्दुओं पर बजट व्यवस्था के सम्बन्ध में भी परिचर्चा की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार प्रत्येक वर्ष के प्रारम्भ में विकास के एजेण्डे को प्रदेश की जनता के सामने रखती है, जिसे क्रियान्वित करने के लिए पूरे वर्ष समयबद्ध रूप से कार्य किया जाता है।