बेंगलुरू : भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने जोर देकर कहा कि फरार माफिया सरगना दाउद इब्राहिम को उनके देश ने नहीं छुपा रखा है।

थिंक टैंक बेंगलौर इंटरनेशनल सेंटर और तक्षशिला इंस्टीट्यूट द्वारा यहां आयोजित एक समारोह के दौरान बासित ने कहा,‘‘ वह पाकिस्तान में नहीं है । यहां तक कि आपकी सरकार को भी उसके पते ठिकाने की पुख्ता जानकारी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘ यदि आपके पास दाउद के बारे में कोई जानकारी है तो बताएं’’ इस सवाल पर कि पाकिस्तान जमात उद दावा को कैसे देखता है , बासित ने कहा कि यह एक परमार्थ संस्था है लेकिन यदि कोई उचित कारण पाया जाता है तो उस पर रोक लगायी जाएगी।’

बासित ने कहा, ‘ कुल मिलाकर यह एक परमार्थ संगठन है । फिर भी हमारी चिंताएं हैं और हम करीब से नजर रखे हुए हैं । यदि कोई कारण पाया जाता है तो उस पर रोक लगायी जाएगी।’ इससे पूर्व अपनी बात रखते हुए बासित ने कहा कि चूंकि भारत बड़ा देश है तो हिंसा को समाप्त करने की उसके कंधों पर अधिक जिम्मेदारी है और पाकिस्तान ईमानदारी तथा गंभीरता के साथ इस लक्ष्य के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है ।

उन्होंने कहा, ‘ पाकिस्तान में 35 सालों की हिंसा के बाद , आतंकवाद के हाथों इतना झेलने के बाद एक थकान सी आ गयी है । हम वास्तव में चाहते हैं कि हिंसा समाप्त हो और हम गंभीरता तथा ईमानदारी से भारत के साथ काम करने को तैयार हैं लेकिन भारत एक बड़ा देश है और इसलिए इसके कंधों पर अधिक जिम्मेदारी है ।’

बासित ने कहा कि पाकिस्तान को छोटा करके नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि दोनों देशों के संबंध आपसी हित और सम्मान पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते हमारे साथ छोटेपन का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए बल्कि अंतत: हमारे जो भी संबंध हों वे आपसी हित और आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि उनके देश के अनुकूल माहौल का इस्तेमाल किया जाए जब उनके देश में लोकतंत्र का वजूद बना हुआ है ।

बासित ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच मुख्य विवाद है तथा दोनों देशों को सालों की कड़वाहट को एक दूसरे के हित साधक के रूप में बदलना चाहिए और सिविल सोसायटी द्वारा इस दिशा में योगदान किए जाने से ही यह हो सकता है । उच्चायुक्त ने कहा, ‘ कोई इसे पसंद करे या नहीं करे । जम्मू कश्मीर हमारे दोनों देशों के बीच मुख्य विवाद बना हुआ है और यह आपसी दुश्मनी को दूर नहीं होने देता।’