दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल में ‘‘शुहादाये दीने ह़क़ व इस्लाहे़ माआशरह’’ के तह़त जलसा

लखनऊ: सत्य व असत्य की जंग हमेशा से हो रही है और हमेशा होगी। परिणाम सत्य की जीत है। असत्य को मानने वाले सदैव हारेंगे। सबसे पहले नबी और रसूल हजरत आदम अलि॰ के काल से हक़ व बातिल की जो जंग आरम्भ हुई थी वह तमाम नबियों के जमाने में होती रही। सबसे अन्तिम नबी स॰ के बाद आप के सच्चे उत्तरदायिों (खलीफा) का जमाना भी इस से खाली नही रहा। रसूल स॰ के चहीते नवासे जन्नत के युवाआंें के सरदार हजरत हुसैन रजि॰ ने हक़ को ऊँचा करने के लिए जिहाद किया आप रजि॰ अपने उद्देश्य में सच्चे और अटल थे। आप ने अपने अल्लाह की खुशी प्राप्त करने के लिए अपनी जान भेंट की और ‘‘शहीद’’ होकर अमर हो गये।

इन विचारों को इमाम ईदगाह, लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली नाजिम दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ने प्रकट किया वह आज इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल के तत्वाधान में होने वाले दस दिवसीय जलसाहाय ‘‘शुहादाये दीने ह़क व इस्लाहे माआशरह’’ के अन्र्तगत दारूल उलूम निजामिया फंरगी महल के मौलाना अब्दुर रशीद फरंगी महली हाल में छठे जलसे को सम्बोधित कर रहे थे। 

मौलाना ने कहा कि सत्य के मार्ग में शहादत का प्राप्त करना अल्लाह की बड़ी नेमत है। इस्लाम की तारीख शुहादाए इस्लाम के खून से रंगीन है। उन्होंने कहा कि कुरान मजीद में कहा गया है कि शहीदों को मरा हुआ मत कहो वह जिंदा हैं

जलसे का आरम्भ दारूल उलूम फरंगी महल के अध्यापक कारी तरीकुल इस्लाम की तिलावत कलाम पाक से हुआ। जलसा मौलाना खालिद रशीद की दुआ पर समाप्त हुआ।