लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज राजभवन में देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक, भारतरत्न स्व0 डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के 84वीं जयन्ती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी ओर से तथा प्रदेश की जनता की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रमुख सचिव, श्री राज्यपाल, सुश्री जूथिका पाटणकर तथा सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। 

 राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें डा0 कलाम के विज्ञाननिष्ठ, ध्येयनिष्ठ एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन से प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिये। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनके सत्त कार्य करते रहने की प्रवृत्ति से हमें सीख लेना होगा। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों ही वंदनीय एवं अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि डा0 कलाम देश के प्रति समर्पित थे।

श्री नाईक ने कहा कि डा0 कलाम के जैसा व्यक्तित्व कभी-कभी ही मिलता है। दो ही राष्ट्रपति ऐसे हुए हैं जिनकी कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। उनके पदधारण करने के बाद भी उनका व्यक्तित्व सरल और सहज था। डा0 कलाम के साथ बिताये हुए पल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे दो बार राजभवन आये तथा अपनी पुस्तक भेंट की। भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि वह क्षण अभी भी याद है जब पूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी बाजपेई ने कैबिनेट बैठक में उनका नाम प्रस्तावित किया था। पोखरन परीक्षण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि डा0 कलाम राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद भी एक सक्रिय शिक्षक रहे।  

राज्यपाल ने कहा कि डा0 कलाम को भारतीय संस्कृति से बहुत लगाव था। उन्हें कुरान के साथ-साथ गीता का भी बराबर ज्ञान था। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अनेक उल्लेखनीय कार्य किये। वैज्ञानिक के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व का एक रूप शिक्षक का भी था। वे युवा पीढ़ी को हमेशा उत्साहित करते रहते थे तथा ज्ञान आधारित समाज का सपना देखते थे। उन्होंने कहा कि डा0 कलाम ने अपने व्यक्तित्व से एक नया इतिहास रचा है।