ग्रेटर नोएडा। अखलाक की हत्या की गुत्थी अब धीरे-धीरे सुलझती सी नज़र आ रही है। एक निजी अखबार से हुए इंटरव्यू में इखलाक की मां ने बताया है कि बकरीद के दिन जब उसका बेटा घर को लौट रहा था तब उसे कुछ लोगों ने पाकिस्तानी कहकर पुकारा था और साथ ही यह भी कहा था कि, “हम इस पाकिस्तानी को यहां रहने नहीं देंगे, जो हाल मुजफ्फरनगर में किया था यहां भी वही हाल करेंगे।”

इस घटना के तीन दिन बाद ही कई लोग अचानक उसके घर में लाठी डंडे और देसी कट्टे लेकर घुस आए और दानिश और अखलाक को गंदी-गंदी गालियां देकर बुरी तरह मारने लगे। जिसमें अखलाक की मौत हो गई जबकि दानिश अभी भी खतरे से बाहर नहीं है। दानिश की मां इकराम का कहना है कि, “मेरे बड़े बेटे की वायु सेना में पक्की नौकरी है। मेरा छोटा बेटा भी ग्रैजुएशन कर रहा है। वह भी सेना में शामिल होना चाहता है। हम यहां कई साल से रह रहे हैं। हमने कभी किसी दिक्कत का सामना नहीं किया।” ऐसे में अहम सवाल यह है कि इस घटना के बाद क्या अब इकराम के बेटे कभी भी साफ मन से देश सेवा कर पाएंगे? अपने भाई को खो देने के बाद क्या अब भारतीयों के प्रति कभी भी उनकी वह भावना रह जाएगी जो पहले थी?

बिसाहड़ा गांव में सोमवार रात फैले सांप्रदायिक तनाव के पीछे की वजहें अब परत दर परत खुलती जा रही हैं। पुलिस को ऐसे दो संगठनों के बारे में जानकारी मिली है जो पिछले कुछ दिनों से घर-घर जाकर 18 से 25 साल के युवाओं को अपने साथ जोड़ रहे थे और हिंदुओं को मुसलमानों के प्रति भड़का रहे थे। यह लोग गांव गांव जाकर मीटिंग कर रहे थे और सोशल मीडिया पर भी अचानक से काफी सक्रिय हो गए थे। इन दोनों संगठनों का नाम “प्रताप सेना” और “समाधान सेना” बताया जा रहा है। इन संगठनों के पदाधिकारी कुछ समय से गांव-गांव बैठकें कर लोगों के बीच जहर घोल रहे थे।

पुलिस इन संगठनों की जांच में जुट गई है, हालांकि सीओ अनुराग सिंह ने बताया है कि प्रताप सेना व समाधान सेना के बारे में अभी तक सिर्फ लोगों से मौखिक सूचनाएं मिल रही हैं, कोई प्रमाण सामने नहीं आया है। मुख्यमंत्री ने भी बिसाहड़ा के गोमांस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पुलिस का दावा है कि उसकी कई टीमें मामले की जांच करने व आरोपियों को अरेस्ट करने में लगी हैं। डीएम एन. पी. सिंह ने भी गुरुवार शाम एक बार फिर गांव पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। डीएम ने बताया कि जांच जारी है