राज्यपाल ने शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल,राम नाईक ने आज शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी तथा प्रदेश की जनता की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने राजगुरू एवं सुखदेव की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण करके श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर प्रो0 यू0एन0 द्विवेदी उपकुलपति, प्राक्टर डाॅ0 निशि पाण्डे सहित विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकगण, पदाधिकारी व छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।

राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं के जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज शहीद भगत सिंह और उनके साथियों, जिन्होंने देश को आजाद कराने में योगदान दिया, को स्मरण करने का दिन है। स्वतंत्र देश में शहीदों के सपनों के अनुसार सुराज निर्माण करना हम सब का दायित्व है। उनके बलिदान को याद करने के साथ-साथ देश के लिए कुछ करने हेतु विद्यार्थी जीवन से ही स्वयं को सुयोग्य बनाना चाहिए। शिक्षा ही सुयोग्य बनाती है। अच्छी तरह से अध्ययन करके विद्यार्थी देश के विकास में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि यही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

श्री नाईक ने कहा कि शहीद भगत सिंह का जन्म 1907 में आज के ही दिन हुआ था। 1919 जब वे 12 वर्ष के थे तो जलियाँवाला बाग काण्ड हुआ जिसने भगत सिंह के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। 1928 में साइमन कमीशन के विरोध करने पर हुए लाठीचार्ज में गंभीर रूप से घायल होने के फलस्वरूप लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी। भगत सिंह ने लालाजी की मृत्यु का बदला लेने की ठानी। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर साण्डर्स की हत्या कर दी जिससे देश में भगत सिंह एक क्रान्तिकारी के रूप में प्रसिद्ध हो गये।

राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में अपनी आवाज उठाने हेतु भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ केन्द्रीय असेम्बली जो आज संसद भवन है, में एक खाली स्थान पर बम फेंककर अपनी गिरफ्तारी दी। साण्डर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह, राजगुरू एवं सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुनायी। अपनी अंतिम इच्छा के रूप में भगत सिंह ने गोली से मारे जाने की इच्छा जतायी ताकि उन्हें बहादुर सैनिक की मौत मिले। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रभक्ति की भावना से अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले शहीदों के मार्ग पर चलकर देश के विकास के लिए काम करते रहें।