नई दिल्ली: जगमोहन डालमिया के निधन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को अपना नया अध्यक्ष चुनना होगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि भारतीय क्रिकेट के सबसे रसूखदार पद पर कौन काबिज होगा, किसका दावा सबसे मजबूत दिख रहा है?

बीसीसीआई के संविधान के मुताबिक, अगर अध्यक्ष का पद बीच कार्यकाल में खाली हो जाए तो सचिव को 15 दिनों के अंदर स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने का अधिकार है और उस मीटिंग में अध्यक्ष का चुनाव होता है। नया अध्यक्ष उसी जोन से होता है, जिस जोन के अध्यक्ष ने पद खाली किया होता है और नया अध्यक्ष अगले चुनाव तक पद की जिम्मेदारी निभाता है।

ऐसे में यह तय है कि जब तक जगमोहन डालमिया के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग नहीं बुला ली जाती है, तब भारतीय क्रिकेट की कमान सचिव अनुराग ठाकुर के हाथों में ही रहेगी।

जाहिर है कि बोर्ड का नया अध्यक्ष भी ईस्ट जोन से चुना जाएगा। बंगाल, ओडिशा, झारखंड, असम, त्रिपुरा और कोलकाता नेशनल क्रिकेट क्लब, यानी सभी छह सदस्य डालमिया के साथ थे। इस जोन में श्रीनिवासन की पकड़ अच्छी है, लेकिन श्रीनिवासन विरोधी खेमा भी इस गुट से समर्थन हासिल करने में जुट गया है। ऐसे में इस होड़ में कौन आगे दिख रहा है।

मौजूदा समीकरणों को देखते हुए शरद पवार रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। वे क्रिकेट बोर्ड के मुखिया के तौर पर अपनी वापसी करने को इच्छुक हैं, लेकिन समर्थन पूरा होने के बाद ही वे आगे बढ़ेंगे, लेकिन पवार को श्रीनिवासन खेमा का समर्थन हासिल नहीं है।

आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला भी इस होड़ में बने हुए हैं हालांकि पिछली बार के चुनाव में वे श्रीनिवासन खेमे के अनिरुद्ध चौधरी से कोषाध्यक्ष का चुनाव हार गए थे, यानी शुक्ला को भी श्रीनिवासन से समर्थन की जरूरत होगी।

 एक दूसरी तस्वीर यह भी उभर रही है कि तमाम आरोपों के बावजूद श्रीनिवासन का खेमा बोर्ड में काफी मजबूत है और एक बार फिर श्रीनिवासन अपने खेमे के किसी आदमी को बोर्ड का अध्यक्ष बनवा सकते हैं। ये अनिरुद्ध चौधरी भी हो सकते हैं और बोर्ड के मौजूदा संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी भी।

 हालांकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड में सचिव अनुराग ठाकुर श्रीनिवासन के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर उभरे हैं और वे हर हाल में श्रीनिवासन के विरोधी खेमे का अध्यक्ष चाहते होंगे, लेकिन मुश्किल यह है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ ताकतवर नेताओं का समर्थन श्रीनिवासन को हासिल है, ऐसे में अनुराग ठाकुर अपने पार्टी नेतृत्व को नाराज करने का जोखिम भी मोल नहीं ले सकते।

 ऐसे में ज्यादा संभावना इसी बात की दिख रही है कि श्रीनिवासन खेमा बोर्ड अध्यक्ष पद पर एक बार फिर से काबिज हो सकता है, यानी श्रीनिवासन भले खुद अध्यक्ष नहीं बन पाएं, लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनका दबदबा कायम रहेगा।