उपराष्ट्रपति के पक्ष में उतरे  शिवपाल सिंह यादव

लखनऊ- वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं सपा के प्रमुख प्रवक्ता शिवपाल सिंह यादव ने केन्द्रीय सरकार की सहयोगी शिवसेना की फासीवादी कार्यप्रणाली और भारतीय जनता पार्टी की चुप्पी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राजग अल्पसंख्यकों में भय पैदा करना बंद करे, इससे देश की अखण्ड़ता एवं सामाजिक समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। शिवसेना द्वारा महाराष्ट्र में जैन समुदाय को चिढ़ाने व डराने के लिए जान-बूझ कर तात्कालिक रोक के बावजूद उनके पूजा स्थल के सामने मांस बिक्री करना दुःखद हैं और इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा की खामोशी दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पूरे प्रकरण से भाजपा और शिवसेना का अल्पसंख्यक विरोधी तथा फासीवादी रवैया उजागार होता है। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को परेशान करने के लिए वहां की फड़नवीस सरकार ने नित नये गरीब विरोधी कानून बना रही है। आटो चालक के लाइसेंस के लिए मराठी भाषा को अनिवार्य करने से उत्तर भारतीय विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार के गरीबों की रोजी-रोटी पर नकारात्मक असर पड़ेगा। समाजवादी पार्टी भाजपा, आरएसएस और शिवसेना को आगाह करती है कि ऐसे कार्य न करे जिससे गरीबों के रोजगार पर कुठाराघात हो और समाजिक सद्भाव बिगड़े। सपा नेता ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीयों पर अत्याचार हो रहा है और प्रधानमंत्री अपनी यात्राओं के दौरान इन सवालों को उठाने की बजाए वे बातें कर रहे हैं जिससे देश की गरीब जनता का कोई सरोकार नहीं हैं। उन्हें सिर्फ कुछ उद्योगपतियों के हित के अलावा किसी से कोई मतलब नहीं रह गया है। श्री यादव ने विश्व बैंक की हालिया प्रकाशित रिर्पोट का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में व्यापार एवं व्यवसाय के लिए वातावरण में सापेक्षिक रूप से काफी सुधार हुआ है और प्रान्त की प्रति व्यक्ति आय गत तीन वर्षों में दोगुनी बढ़ी हैं। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या के साथ-साथ निवेश भी काफी बड़ा है। उपराष्ट्रपति डा0 हामिद अंसारी का बचाव करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा उपराष्ट्रपति महोदय का पन्थनिरपेक्षता एवं भारतीय लोकजीवन के उदात्त मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जगजाहिर है। आरएसएस और भाजपा के नेताओं द्वारा उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर गलत व हल्की टिप्पणी करना अनुचित है। 

श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सड़कों विकास एवं निर्माण के प्रति केन्द्र सरकार का रवैया नकारात्मक हैं। मांग एवं जरूरत के अनुरूप उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जो राशि उत्तर प्रदेश को दी हैं वो बहुत कम है।