नई दिल्ली। उत्तर भारत में डेंगू डरावना होता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को छह साल के मासूम और 29 वर्षीय महिला की मौत हो गई। इससे मौत का आंकड़ा 11 तक पहुंच गया है। अभी तक 1872 मरीज मिले हैं। राजस्थान में भी करीब 6 मौतों की जानकारी है। हालांकि विभाग ने एक भी मौत की पुष्टि नहीं की है। प्रदेश में मरीजों का आंकड़ा भी 2000 तक पहुंच चुका है।

डेंगू के चलते दिल्ली में बकरी का दूध 2000 रूपए लीटर बिक रहा है जबकि उसकी सामान्य कीमत 35-40 रूपए प्रति लीटर है। यही नहीं पपीते के पत्तों का जूस 300 रूपए प्रति गिलास बिक रहा है। पपीते के पत्तों से लाभ के दावों के बाद दवा दुकानों पर इसके अर्क से तैयार टेबलेट्स भी रखना शुरू कर दिया है। माना जाता है कि इनसे ब्लड प्लेटलैट्स बढ़ती हैं।

आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि किताबों में बताया गया है कि बकरी के दूध से डेंगू से निजात मिलती है। हालांकि डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इसकी पुष्टि नहीं करते। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि प्लेटलेट्स में गिरावट आने के दो-तीन बाद इसमें प्राकृतिक रूप से भी बढ़ोत्तरी होती है। ऎसे में हो सकता है कि प्राकृतिक रूप से होने वाली बढ़ोत्तरी को ही लोग इन उपचारों का नतीजा मान रहे हों।

वहीं एक अन्य डॉक्टर का कहना है कि ऎसे उपचारों से मिलने वाली राहत के बारे में वे निश्चिंत नहीं है लेकिन वे मरीजों को इसका उपयोग करने से भी नहीं रोक रहे हैं। मौलान आजाद मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर्स के एक जर्नल के अनुसार पपीते की पत्तियों से होने वाले फायदे के लिए इसके लिए ट्रायल की आवश्यकता है।