रद्द की एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र शिक्षकों की भती

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र शिक्षकों की भती इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है और कहा है कि नियमों में ढील देने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं। इसके साथ ही शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के जरिए दिया गया प्रशिक्षण भी रद्द कर दिया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में शनिवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इन शिक्षकों के अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। प्रदेश में 1.71 लाख शिक्षामित्र हैं, इनकी नियुक्ति बिना टीईटी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गई थी। 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली। इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया।

2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। पहले चरण में जून 2014 में 58,800 शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो गया। दूसरे चरण में जून में 2015 में 73,000 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बना दिए गए। तीसरे चरण का समायोजन होने से पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन सहित कई युवाओं ने समायोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट से विचाराधीन याचिकाओं पर अन्तिम निर्णय लेने को कहा। जिसके बाद इस खंडपीठ ने यह ऎतिहासिक फैसला सुनाया है।