नई दिल्ली : महिला नौसैन्य अधिकारियों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बल में स्थायी कमीशन की दिलाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और कहा कि महिलाओं की प्रगति रोकने के लिए ‘लैंगिक भेदभाव और सेवा भेदभाव’ को अनुमति नहीं दी जाएगी।

अदालत ने अनुरोध स्वीकारते हुए कहा कि महिलाओं का पक्ष सही है और चूंकि वे अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ ‘कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं’, इसलिए महिलाओं की प्रगति रोकने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

थलसेना और वायुसेना महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन की अनुमति देती है लेकिन नौसेना में महिला अधिकारियों की केवल 14 वर्ष की शार्ट सर्विस कमीशन होती है। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने पेंशन जैसे सेवानिवृत्ति लाभ मांगने के महिला नौसैन्य अधिकारियों के अनुरोध को स्वीकार किया।

इससे पहले महिला नौसैन्य अधिकारी पेंशन के लिए योग्य नहीं थी क्योंकि उसके लिए 20 साल की सेवा की जरूरत होती है। यह आदेश अलग अलग विभागों की कई नौसैन्य महिला अधिकारियों की याचिका पर आया है।