राज्यपाल ने पुस्तक ‘यादों का सफर‘ का लोकार्पण किया 

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित एक समारोह में स्व0 न्यायमूर्ति जहीर हसन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘यादों का सफर‘ का लोकार्पण किया। 

श्री नाईक ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजभवन में आयोजित आज का कार्यक्रम न्यायालय से जुड़ा पहला कार्यक्रम है। राजभवन में अब तक कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं जैसे कुष्ठ पीडि़तों की भजन संध्या, विकलांग कवियित्री श्रीमती कामिनी श्रीवास्तव का काव्य संग्रह ‘महकता आंगन खिलते फूल‘, उर्दू काव्य संग्रह ‘आबगीना‘, खिलाडि़यों का सम्मान समारोह व अन्य समारोह आदि। न्यायमूर्ति जहीर हसन ने न्याय का आदर्श निर्माण किया तथा न्यायिक सेवा की गरिमा बढ़ायी। निष्पक्ष न्याय ही न्यायालय की विशेषता है जिसे उन्होंने अपने कृत से प्रमाणित किया। उन्होंने कहा कि ‘भाषण में सभी वक्ताओं ने कोई न कोई शेर पढ़ा, पर मैं तो शेर से डरता हूँ।‘

राज्यपाल ने पुस्तक की तारीफ करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को पुस्तक में बड़ी सहजता से प्रस्तुत किया गया है। निश्चित रूप से ऐसे व्यक्तित्व से समाज को मार्ग दर्शन मिलता है। उन्होंने पुस्तक की सराहना भी की।

न्यायमूर्ति वी0के0 दीक्षित ने कहा कि उनके न्यायमूर्ति जहीर हसन से बहुत पुराने संबंध रहे हैं। उनके परिजनों ने पुस्तक के प्रकाशन से अपने पिता के लिए एक अच्छी श्रद्धांजलि प्रस्तुत की है।

न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने कहा कि स्व0 न्यायमूर्ति जहीर हसन उनके लिए पिता तुल्य थे। वे सदैव उन्हें बेटा कहकर सम्बोधित करते थे। उन्होंने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि नई पीढ़ी बुजुर्गों का सम्मान करना भूलती जा रही है।

श्री एन0सी0 बाजपेई, उपाध्यक्ष राज्य योजना आयोग ने कहा कि न्यायमूर्ति जहीर हसन से भेंट करना एक यादगार लम्हा होता था। वे संबंधों को बनाकर रखते थे। उनके द्वारा दिये गये न्यायिक निर्णय सहृदयतापूर्ण होते थे। उन्होंने कहा कि पुस्तक के माध्यम से उनके जीवन के अन्य पहलू भी जानने का मौका मिलेगा। कार्यक्रम में उनके पुत्र काजिम जहीर सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन नैयर जलालपुरी ने किया।