लखनऊ: इस्लामिक सेण्टर आॅफ इण्डिया के अन्तर्गत दारूल उलूम फरंगी महल लखनऊ में एक सेमिनार ‘‘जस्टिस सुहैल एजाज़ अहमद सिद्दीकी की मुल्की खिदमात’’ के विषय पर आयोजित हुआ। सेमिनार की अध्यक्षता इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली नाजि़म दारूल उलूम फरंगी महल ने की। इस सेमिनार में सभी लोगों की सहमति से ये बात तय हुई कि जस्टिस सिद्दीक़ी साहब की क़ौमी, मिल्ली, समाजी और कानूनी खिदमात को देखते हुए जल्द ही उनको ‘‘मीनार-ए-हिन्द’’ एवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। सेमिनार में बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार से इस बात की मांग की गई कि जस्टिस सुहैल एजाज़ अहमद सिद्दीक़ी को उ0प्र0 का लोक आयुक्त नियुक्त किया जाये।

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए इमाम ईदगाह लखनऊ ने जस्टिस सिद्दीक़ी की उपलब्ध्यिों पर विस्तार से रौशनी डालते हुए कहा कि उन्होंने अपना कानूनी सफर 1960 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से आरम्भ किया और उसके बाद उनकी बेपनाह क्षमता को देखते हुए उनको विभिन्न न्यायालयों मे अहम जि़म्मेदारी दी गई। जस्टिस सिद्दीकी ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में जज की हैसियत से भी अपनी सेवाएं दीं। और 1992 में उनको सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की भी जि़म्मेदारी दी गई और वो पहले मुस्लिम रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त हुए।

उन्होंने कहा कि कानून के मैदान में उनका ये सफर दिसम्बर 2014 तक जारी रहा जो आज भी जारी है। आवश्यक्ता इस बात की है कि सरकार उनकी क्षमता और तजुर्बे को देखते हुए लोक आयुक्त की जि़म्मेदारी उनको दे।

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए दारूल फरंगी महल के प्रधानाचार्य मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी ने कहा कि जस्टिस सुहैल सिद्दीक़ी ने 2004 से 2014 तक नेशनल कमीशन फार माइनारिटीज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन भारत सरकार के चेयरमैन की हैसियत से जिम्मेदारी निभाई। इन 10 वर्षों में उन्होंने लगभग 10500 शिक्षण संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा देकर शिक्षा को बढ़ावा देने में बहुत बड़ा काम किया है। जिनमें देश की बड़ी-बड़ी युनिवर्सिटी जैसे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, जामिया हमदर्द, मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय और अलफलाह विश्वविद्यालय शामिल हैं।

आॅल इण्डिया सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुहम्म्द मुश्ताक ने जस्टिस साहब की सेवाओं पर रौशनी डालते हुए कहा कि उनकी सेवाओं को देखते हुए देश के उच्च स्तर के शिक्षा संस्थानों ने उनको सम्मानित किया है। उनको मौलाना मुहम्मद अली जौहर अवार्ड, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेन्ट अवार्ड, सर सय्यद अहमद खां अवार्ड और सितार-ए-हिन्द अवार्ड मिले हैं।

जस्टिस सिद्दीक़ी साहब कि खिदमात पर शैख राशिद अली मीनाई सज्जादा नशीन दरगाह शाह मीना शाह, मेम्बर आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने भी विस्तार से रौशनी डालते हुए कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि जस्टिस साहब ने देश की बहुत अहम सेवा की।

सेमिनार का संचालन मौलाना गुफरान अहमद सिराजी और मेहमानों का शुक्रिया अदनान खां ने अदा किया।

इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद सुफियान, मौलाना मुहम्मद हारून निज़ामी, मौलाना शमीम अहमद, क़ारी क़मरूद्दीन, हाजी नदीम अहमद, सै0 अयाज़ अहमद, शैख सऊद रईस और सै0 सैफ वारसी एडवोकेट विशेषरूप से उपस्थित थे।