लखनऊ। कथक के नवांकुरों और बरसों से कथक की तालीम ले रहे युवा-नवयुवा कथक कलाकारों ने समन्वय का ऐसा मनोरम प्रदर्शन किया कि अनुभवी कलाकार और दर्शक विस्मित से रह गए। कथक का ऐसा नयनाभिराम दृश्य दिवंगत कथक क्वीन सितारादेवी, कथक गुरु कपिलाराज और नर्तक सुरेन्द्र सैकिया को श्रद्धांजलि स्वरूप राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में अनुज-अर्जुन डांस कम्पनी और कथक अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्तुत कार्यक्रम ‘कथक समन्वय’ में देखने को मिला। युवा प्रतिभाओं में गुरु अर्जुन मिश्र की शिष्या व पुत्री कांतिका मिश्रा का एकल प्रदर्शन  उनके एक पुष्ट  नृत्यांगना के रूप में पल्लवित होने का प्रमाण के तौर पर मंच पर उभर कर आया। 

‘कथक समन्वय’ का आगाज़ पुष्पांजलि संरचना में तीनों दिवंगत विभूतियों को पुष्पार्पण करते हुए परम्परागत कथक की ईशी , सोना, श्रेया, राधिका, रिदिमा, ईशा -मीशा  व नीरज द्वारा की पेशकश  से हुआ। कथक अकादमी के आर्टिस्टक डाइरेक्टर व कुषल प्रतिभाशाली युवा नर्तक अनुज मिश्र के संचालन में चले इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पंजाब नेषनल बैंक के महाप्रबंधक अरविंद तिवारी ने इस मौके पर उत्तर भारतीय नृत्य की शास्त्रीय परम्परा और लखनवी गंगा-जमुनी तहजीब का हवाला देते हुए विशिष्ट  अतिथियों डा.आर.एस.बेदी व नृत्यांगना कांतिका की मां श्रीमती शारदा मिश्रा को सम्मानित किया।  

मिश्र शास्त्रीय राग में बंधी कथक गुरु बिरजू महाराज के संगीत में उन्हीं के रचे भजन- ‘श्याम मूरत मन भाए…….’ की प्रस्तुति में अंकिता, ईशा  रतन, मीशा  रतन, नव्या, एकता, स्नेहलता के साथ ही कांतिका मिश्रा ने आध्यात्मिक भावों को कथक गतियों व संुदर हस्तकों में व्यक्त किया और तत्काल कांतिका एकल प्रदर्शन  में शुद्ध  पक्ष में उपज-उठान, आमद को प्रदर्शित  करने उतर आईं। उन्होंने एकल प्रदर्शन  में जहां क्लिष्ट  लयकारियां सामने रखीं वहीं उनका खूबसूरत फुटवर्क भी देखने को मिला। लुप्त हो चुकी ‘ठ’ डबल की विलम्बित व दु्रत परनों का प्रदर्षन विशिष्ट  रहा तो अभिनय पक्ष में मौसम और वक्त की मांग की अनुरूप् प्रस्तु बिन्दादीन महाराज की रची कजरी- ‘घिर-घिर आई बादरा…….’ में उनकी बचपन से ली पिता की तालीम, घरानेदार परम्परा और निजी मेहनत उभरकर सामने आई। इसी क्रम में ताल धमार में नयवुवा कलाकारों ईशा , मीशा , अंकिता, एकता व स्नेहलता द्वारा प्रस्तुत धमार संरचना में परम्परागत बंदिशों  का खूबसूरत तालमेल मंच पर उभरा। अंत में कांतिका जब परम्परागत कथक के साथ रुखसार की गत लेकर उतरीं तो अन्य सभी युवा कलाकार भी साथ हो लिए और ‘नृत्य सौदंर्य’ संरचना में सुंदर संयोजनों, 54 चक्करों व गतियों में गुरुओं की परम्परागत बंदिशों को पेश  किया। समापन ताल वाद्यों और घुंघरुओं को खूबसूरत जुगलबंदी से हुआ। तबले पर देश -विदेश  में प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके युवा कलाकार विकास मिश्र, गायन में ब्रजेन्द्र श्रीवास्तव, सारंगी में विनोद मिश्र ने बेहतर साथ निभाया। पढ़न्त खुद कोरियोग्राफर व प्रस्तुति के नृत्य निर्देशक अर्जुन मिश्र कर रहे थे। ‘कथक समन्वय’ की इस प्रस्तुति सहायक के तौर पर स्मृति मिश्र टण्डन, नेहा सिंह  के साथ ही प्रकाश  में दिनेश , ध्वनि में बसंत व अन्य पक्षों में ज्योति किरन, कमलेश  पाठक रवि और राजवीर रतन का सहयोग रहा। 

पिछले 18 वर्षों  से कला एवं नृत्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय  व अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर कार्य कर रही कथक अकादमी गुरु-शिष्य  परम्परा के तहत अनवरत कथक शिक्षण, प्रसार और प्रयोगात्मक प्रस्तुतियों पर बराबर काम रही है। कथक क्वीन सितारादेवी भी कथक अकादमी की मुख्य संरक्षक के तौर पर जुड़ी रहीं और बराबर मार्गदर्शन करती रहीं। कथक अकादमी की पिछली प्रस्तुतियों में बुद्धम् शरणं गच्छामि, लेवहुं दिनकर वंश उबारा (रामायण पर आधारित), टांग, राम की शक्तिपूजा, कोई कैद नहीं, जहांआरा, तिलिस्मे शाम: अवध का चिराग रौशन है, प्रष्नचिह्न, पर्णकुटी के पहरेदार व बेगम हज़रत महल इत्यादि उल्लेखनीय रही हैं।