अहमदाबाद: गुजरात के निलंबित IPS अधिकारी संजीव भट्ट को बर्ख़ास्त कर दिया गया है। संजीव काफी लंबे वक़्त से सस्पेंड चल रहे थे। उन पर बिना इजाज़त लंबी छुट्टी लेने के कारण यह कार्रवाई की गई है।

संजीव भट्ट की पहचान गुजरात सरकार के साथ 2002 के दंगों को लेकर भिड़ने वाले अफसर के रूप में रही है। निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वीडियो क्लिप के आधार पर ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी करते हुए एक अज्ञात महिला के साथ उनके कथित ‘अवैध संबंध’ को स्पष्ट करने के लिए कहा गया था। भट्ट ने इस आरोप से इनकार किया है।

गुजरात के गृह विभाग की ओर से 14 अगस्त को भट्ट को भेजे गए नोटिस के साथ ऐसी जानकारी मिली कि उन्हें एक वीडियो सीडी भी भेजी गई थी। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी 2011 से निलंबित चल रहे थे।

नोटिस में उल्लेख किया गया था कि कथित क्लिप की राज्य के डायरेक्टोरेट ऑफ फोरेंसिक साइंस (डीएफएस) के तहत आने वाले फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) द्वारा जांच की गई है। एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीडी प्रामाणिक है और उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।

सीडी के साथ नोटिस मिलने के बाद भट्ट ने अपने जवाब में कहा है कि सीडी में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं। उन्होंने यह जवाब 15 अगस्त को भेजा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना जवाब 15 अगस्त को गृह विभाग को भेज दिया है। मैंने उन्हें बताया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति वह नहीं हैं लेकिन उसका चेहरा उनसे मिलता है।’ उन्होंने एफएसएल के निष्कर्षों पर भी सवाल खड़े किए, जिसका उल्लेख गृह विभाग ने उन्हें भेजे गए नोटिस में किया है।

भट्ट ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि एफएसएफ जांच के परिणाम मोटे तौर पर अपर्याप्त तुलनात्मक डेटा पर आधारित हैं जिसमें मेरे और कथित वीडियो क्लिप में दिखायी देने वाले व्यक्ति के बीच सकारात्मक मेल होने की बात कही गई है।’ उन्होंने किसी भी संदेह को दूर करने के लिए एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक जांच का अनुरोध किया।