शुआ फातिमा पब्लिक गर्ल्स  इण्टर कॉलेज में भी धूमधाम से मना स्वतंत्रता दिवस समारोह

लखनऊ। मशहूर फैशन डिज़ाईनर असमा हुसैन ने कहा कि पढ़ाई आवश्यक है लेकिन आज के दौर में केवल पढ़ाई से ही कामयाबी हासिल नहीं की जा सकती। आप केवल बी.ए., एम.ए. कर लें तो वह सबकुछ हासिल नहीं कर सकते जो आप पढ़ाई के साथ-साथ अगर किसी न किसी टेक्निकल फ़ील्ड में भी कुछ विशेष कर के हासिल कर सकते हैं। श्रीमती हुसैन यहाँ शुआ फातिमा पब्लिक गल्र्स इण्टर कॉलेज में स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि की हैसियत से झण्डारोहण करने के बाद छात्राओं समेत उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रही थीं।

एक परिवार के अभिभावक की सीख जैसे अपने सारगर्भित भाषण में असमा हुसैन ने आगे कहा कि यहाँ  गऱीब घर की लड़कियां भी पढ़ती हैं वह या तो इन्टर के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं या बहुत आगे बी.ए. कर लेती हैं लेकिन वह अगर इसी के साथ-साथ और भी हुनर सीखने के लिए अपने क़दम बढ़ायें तो उन्हें कभी भी बेरोजग़ार नहीं रहना पड़ेगा और इस क्षेत्र में हम से जो भी मदद चाहिये होगी वह हम हरसमय करने को तैयार हैं। 

इस अवसर पर मौजूद विशिष्ट अतिथि पूर्व आई.ए.एस. एवं केएमसीयू के वी.सी. अनीस अंसारी ने कहा कि हमें अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से आज़ादी तो 68 साल पहले मिल गयी लेकिन अभी हमें अज्ञानता से आज़ादी मिलनी बाक़ी है हालांकि जब हम आज़ाद हुये थे तो हमारी साक्षरता दर बहुत कम थी और आज उसके मुक़ाबले बहुत अधिक हो गयी है लेकिन अभीभी इस क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने की बहुत आवश्यकता है। इस मौके पर कॉलेज के बच्चों ने कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये, जिन्हें आये हुए सभी मेहमानों ने अत्यन्त सराहा। 

अन्त में कॉलेज के मैनेजर डॉ. शारिब रूदौलवी ने आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि असमा हुसैन, विशिष्ट अतिथि अनीस अंसारी, खुनखुन जी गल्र्स डिग्री कॉलेज की लेक्चरर डॉ. रेशमा परवीन और रोज़ी पैराडाईस की सी.ओ. श्रीमती रोज़ी रिज़वी का धन्यवाद देते हुये कहा कि आपलोगों ने इस गर्मी में हमारे छोटे से कॉलेज में अपना बहुमूल्य समय दिया। आपके आने से हमारे बच्चों की बेहद हौसलाअफज़ाई हुई और आपने जो बातें इनके सामने रखीं वह इनके भविष्य के लिये बेहद लाभदायक साबित होंगी। उन्होंने कहा कि यह कॉलेज मेरा और मेरी पत्नी डॉ. शमीम निकहत का एक सपना है, जो आज साकार होता दिख रहा है और इसके साकार होने में इस कॉलेज से जुड़े सभी अफऱाद के साथ हमारे पूरे स्टाफ़ की मेहनत है, इनके बिना कुछभी मुमकिन नहीं था। उन्होंने कॉलेज के पूरे स्टाफ के साथ आज के कार्यक्रम प्रस्तुत करने पर प्रोग्राम की कोआर्डिनेटर अदिति मिश्रा और प्रधानाचार्या मीरा त्रिपाठी की विशेष रूप से सराहना की।

ज्ञात रहे कि लगभग 20 वर्ष पूर्व बेटी की आकस्मिक मृत्यु के उपरान्त जे.एन.यू. के साबिक़ प्रोफ़ेसर डॉ. शारिब रूदौलवी और उनकी पत्नी डॉ. शमीम निकहत, जो दिल्ली यूनीवर्सिटी की साबिक़ प्रोफ़ेसर हैं, ने यह तय किया कि एक अपनी बेटी शोआ न रही तो क्या हम सैकड़ों बेटियों को अपनी शोआ बना लेंगे। इसी अहद के साथ रिटायर्ड होने के वक़्त मिले रुपयों से बहुत ही छोटे पैमाने एक स्कूल की बुनियाद डाली, जो आज एक बड़े कॉलेज में तब्दील हो गयी है।