दारूल उलूम निज़ामिया फरंगी महल में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रोग्राम का आयोजन

लखनऊ: अपने ही जैसे मनुष्यों को गुलाम बनाना मानव इतिहास का बहुत बड़ा अपराध और आतंकवाद है। यह अपराध यूरोपीय देशों ने अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए बार बार किया है। आज जो सम्पूर्ण विश्व में बुराइयां और बिगाड़ फैला हुआ हैं उस की आड़ में यही मानवता विरोधी ताकतें कार्यरत है। 

इन ख्यालात का इज्हार दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल के नाजिम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने दारूल उलूम में स्वतंत्रता दिवस के अवसर किया। उन्होंने कहा कि इस्लाम जैसे सच्चे और अमन व शान्ति के प्रेरणक धर्म को यह पसन्द ही नही है कि अपने ही जैसे खुदा के बन्दों को अपना गुलाम बनाया जाये।

मौलाना खालिद रशीद ने ध्वजारोहण के बाद अपने सम्बोधन में कहा कि इस्लाम की इच्छा का पालन करते हुए हमारे उलमाक्राम ने बर्तानवी साम्राज का भरपूर मुकाबला किया। उनकी कठोर प्रतिज्ञा और खुदा के बन्दों से उन का बे पनाह प्रेम के कारण अंग्रेजों को यह देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि शेर-ए-मैसूर टीपू सुलतान शहीद, सै0 अहमद शहीद, शाह अब्दुल अजीज मुहद्दिस देहलवी, मुफ्ती मजहर करीम दरियाबादी, अल्लामा फजले हक़ खैराबादी, मौलाना अब्दुल बारी फंरगी महली, मौलाना मेहमूद हसन देवबन्दी, मौलाना हुसैन अहमद मदनी, मौलाना मुहम्मद अली जौहर, मौलाना अबुल कलाम आजाद और मौलाना उबैद उल्लह सिंधी और इन जैसे हजारों उलमाक्राम ने देश को बर्तानवियों से स्वतन्त्र कराने में जो कर्बानियां दीं हैं देश उन का सदैव आभारी रहेगा।

उन्होने जोर देते हुए कहा कि जब देश को आजाद कराने का समय था तो हिन्दू और मुस्लिम एक थे लेकिन जब देश आजाद हो गया तो फिर आपस में यह दुश्मनी कैसी। अगर हिन्दू-मुस्लिम एकता न होती तो यह देश आजाद न होता।

जलसे का आरम्भ दारूल उलूम के छात्र मुहम्मद आदिल की तिलावते कलाम पाक से हुआ। इस के बाद मदरसे के क्षात्रो ने राष्ट्रीय गीत पढ़ा। समारोह में मौलाना मुहम्मद मुशताक, मौलाना मुहम्मद सुफयान, मौलाना मुहम्मद शमीम, मौलाना अब्दुल लतीफ, कारी कमरुद्दीन, कारी मुहम्मद हारून, सैय्यद अयाज अहमद, शेख राशिद अली मीनाई, मुहम्मद फारूक खाँ, हाजी फैजुद्दीन, मुहम्मद आसिम और अन्य गढमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।