तुलसीपुर, बलरामपुर। राष्टृीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाये जा रहे सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा एवं विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन अवसर पर सेव दी चिल्ड्ेन एवं विज्ञान फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में स्टाप डायरिया इनिसिएटिव कार्यक्रम के तहत जनपद बलरामपुर के तुलसीपुर ब्लाक के ग्रामपंचायत ओड़ाझार व प्रेमनगर में डायरिया नियंत्रण एवं स्तनपान दिवस के समापन अवसर पर सामुदायिक गोष्ठी का आयोजन किया गया।इस गोष्ठी में डायरिया के कारण निवारण तथा स्तनपान के महत्व पर विस्तर से चर्चा की गयी।

गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए परियोजना अधिकारी अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि डायरिया के कारण प्रत्येक वर्ष प्रदेश में करीब 37 हजार 312 बच्चों की मृत्यु हो जाती है जिसे हम थोड़ा सा प्रयास कर हम बचा सकते है। वही स्तनपान के महत्व पर चर्चा करते श्री त्रिपाठी ने बताया कि मां का पहला दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है इसे जरूर पिलाना चाहिए। उन्होने बताया कि स्तनपान को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि हर मां -घर में या फिर बाहर काम करने वाली माता शिशुु को अपने दूध से वंचित न रखे ।उन्होने बताया कि नवजात शिशुओं में रोगों से लड़ने की क्षमता नही होती यह शक्ति शिशु को मां से मिलती है जिसमें जरुरी पोषक तत्व एन्टी बाडिज,हार्मोन्स,प्रतिरोधक कारक सहित तमाम आंक्सीडेन्ट होते है जो नवजात शिशु के समग्र विकास एवं बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरुरी होते है। इस अवसर पर धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा एवं आगनवाड़ी की भूमिका सर्वोपरि है इसके लिए मातृ समिती की महिलाओं को आगे आना होगा, सामुदायिक बैठको व गृह भ्रमण के माध्यम से सफल स्तनपान करने के लिए आत्मविश्वास जगाना होगा तथा स्तनपान से जुड़ी समस्याओं का निदान करना होगा।

 ग्रामप्रधान श्रीमती सावित्री देवी ने बताया कि निश्चित तौर पर इस तरह की जानकारी समुदाय स्तर पर दे कर डायरिया एवं स्तनपान की समस्या से निजात पाया जा सकता है। वही हरिश्चन्द्र जी ने बताया कि निश्चित तौर पर समुदाय की जागरुकता के बगैर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार सम्भव नही है। इस मौके पर ओड़ाझार की आशा राधिका देवी ने ओआरएस एवं जिंक का वितरण किया।वही परियोजन के सुनील कुमार ने बताया कि डायरिया के कारणें मे साफ सफाई एवं शुद्व जल न मिलना भी एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रेमनगर में इस अवसर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया। यहां ओमवीर सिंह न बताया कि मां का दूध शिशुओं को संक्रमणेां, कुपोषण,एनिमिया, अतिसार रतौंधी जैसी बीमारी से बचाता है। उन्होने साफ सफाई के महत्व पर भी विस्तार से बताया तथा शौच के बाद साबून से हाथ धोने पर जोर दिया। इस मौके पर एनएम, आशा,आगनवाडी के अलावा समुदाय के महिला पुरुष मौजूद रहे।