लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को प्रदेश के कारागारों में ओवर क्राउडिंग कम किए जाने के निमित्त विचाराधीन बंदियों को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-436ए तथा 436(1) का लाभ प्रदान किए जाने एवं विचाराधीन बंदियों की रिमाण्ड वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से किए जाने के संबंध में 31 जुलाई 2015 को एक पत्र के माध्यम से अद्यतन स्थिति से अवगत कराया है। 

इस सम्बन्ध में केन्द्रीय गृह मंत्री को भेजे गए अपने पत्र में मुख्य मंत्री ने  अवगत कराया कि एन0आई0सी0 द्वारा संरचित ई-प्रिजन साॅटवेयर को उ0प्र0 के कारागारों में ‘ई-प्रिजन उत्तर प्रदेश‘ के नाम से क्रियान्वित किए जाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा 429.78 लाख रुपए की कार्य योजना स्वीकृत की गयी है तथा एन0आई0सी0 के सहयोग से इस कार्य योजना को प्रारम्भ कर दिया गया है। एन0आई0सी0 द्वारा ‘ई-प्रिजन उत्तर प्रदेश‘ साॅटवेयर को प्रदेश के कारागारों में संचालित किए जाने के दौरान विभागीय आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज्ड भी किया जा रहा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि साॅटवेयर में प्रिजनर्स मैनेजमेंट सिस्टम (पी0एम0एस0) एप्लीकेशन माॅड्यूल में धारा-436ए तथा 436(1) से आच्छादित बंदियों की सूचना फीड किए जाने का भी प्राविधान किया गया है। इस एप्लीकेशन माॅड्यूल में कारागारों में निरुद्ध बंदियों की सूचनाएं फीड हो जाने के पश्चात इसके आॅनलाइन स्वरूप में इसे किसी भी स्तर पर देखा जा सकेगा। 

श्री यादव ने बताया कि इसके अतिरिक्त, प्रत्येक माह धारा-436ए तथा 436(1) से आच्छादित बंदियों की सूचना एकत्रित कर जनपद के सी0जे0एम0 को प्रस्तुत की जाती है। वर्ष-2014 में प्रदेश के कारागारों में धारा-436ए से आच्छादित पात्र कुल 3922 बंदियों में से 804 बंदियों को रिहाई का लाभ प्राप्त हुआ। इसी प्रकार धारा 436(1) से आच्छादित पात्र कुल 23,289 बंदियों मंे से 19,702 बंदियों को रिहाई का लाभ प्राप्त हुआ। यह प्रक्रिया प्रदेश के सभी कारागारों में नियमित रूप से संचालित हो रही है।

मुख्यमंत्री ने बी0पी0आर0 एण्ड डी0, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनाए गए माॅडल प्रिजन मैनुअल को प्रदेश सरकारों द्वारा लागू किए जाने की भारत सरकार की अपेक्षा के क्रम में अवगत कराया कि माॅडल प्रिजन मैनुअल के स्वीकार्य प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल संशोधन हेतु गठित समिति द्वारा प्रस्तुत संशोधित जेल मैनुअल का ड्राट विचाराधीन है, जिसे शीघ्र ही लागू किया जाएगा।

श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के सभी कारागारों में माह में एक बार लोक अदालतों को आयोजन कर लोक अदालत में प्रस्तुत किए जाने हेतु पात्र विचाराधीन बंदियों के मामलों को प्रस्तुत करने के आदेश पूर्व से निर्गत हैं तथा सभी कारागारों में इसका नियमित रूप से आयोजन हो रहा है। जिसके फलस्वरूप वर्ष-2014 में प्रदेश के सभी कारागारों में कुल 880 लोक अदालतों का आयोजन किया गया, जिनमें 17,283 विचाराधीन बंदियों के मामले प्रस्तुत किए गए, जिसके फलस्वरूप कारागारों से कुल 3,118 बंदी रिहा हुए।

मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश की 09 कारागारों में स्थापित वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग इकाइयों के माध्यम से विचाराधीन बंदियों की रिमाण्ड कराई जा रही है। इसके साथ ही, 25 कारागारों में ब्राॅड बैण्ड आधारित प्रक्रिया से भी बंदियोें की रिमाण्ड हो रही है, जिसके फलस्वरूप अभी तक पांच लाख से अधिक बंदियों की रिमाण्ड वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से करायी जा चुकी है। नौ कारागारों के अतिरिक्त शेष सभी कारागारों में वीडियो काॅन्फ्रेसिंग इकाइयों की स्थापना की कार्यवाही प्रचलित है। मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के निर्देशों के अनुपालन में प्रदेश के सभी कारागारों में दिनांक 31 दिसम्बर, 2015 के पूर्व वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग की स्थापना कराकर संचालित कराए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एक पत्र के माध्यम से प्रदेश के कारागारों में ओवर क्राउडिंग कम किए जाने के दृष्टिगत विचाराधीन बंदियों को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-436ए तथा 436(1) का लाभ प्रदान किए जाने एवं विचाराधीन बंदियों की रिमाण्ड वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से किए जाने के संबंध में जानकारी मांगी थी। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है।