नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट और वैट एवं शुल्क में इजाफे से पेट्रोल की असल कीमत से टैक्स ज्यादा हो गए हैं। पेट्रोल पर टैक्स और डीलर से वसूली जाने वाली कीमत में 83 पैसे प्रति लीटर का फर्क है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का मुनाफा भी जोड़ लिया जाए, तो यह फर्क करीब सवा तीन रुपए प्रति लीटर है।
इंडियन ऑयल के आंकड़ो के मुताबिक, रिफाइनरी से तेल कंपनियां 29.41 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से खरीद रही है। जबकि कंपनी डीलर को 31.82 रुपए प्रति लीटर से हिसाब से देती है। एक अगस्त से कीमतों में गिरावट के बाद खुदरा मूल्य 66.47 रुपए प्रति लीटर है। ऐसे में पेट्रोल पर 32.65 (उत्पाद शुल्क, उपकर, डीलर कमीशन व वैट) टैक्स है।
इस साल यह दूसरा मौका है, जब पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स मूल कीमत से ज़्यादा हो गए हैं। जनवरी में पेट्रोल की कीमतों में 2.42 रुपए प्रति लीटर की कटौती के बाद पेट्रोल की असल कीमत और डीलर से वसूली जाने वाली कीमत में लगभग 40 पैसे प्रति लीटर का फर्क था। बाद में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बाद यह फर्क खत्म हो गया था।
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