सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की   

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केन्द्र की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। याचिका सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को लेकर दाखिल की गई थी जिसमें राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया गया था।

केन्द्र का कहना था कि राजीव गांधी के हत्यारे दया के पात्र नहीं है,उन्हें फांसी ही होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को राजीव गांधी की हत्या के दोषी संथन, मुरूगन और पेरारिवलन की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया था। तीनों ने दया याचिकाओं के निपटारे में देरी के आधार पर सजा-ए-मौत को उम्र कैद में बदलने का अनुरोध किया था। केन्द्र सरकार ने इसका विरोध किया था। उस वक्त मुख्य न्यायाधीश पी.सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बैंच ने दोषियों की दया याचिका पर फैसला लेने में केन्द्र सरकार की ओर से हुई 11 साल की देरी का जिक्र किया था।

सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र की ओर से पेश हुए उस वक्त के अटॉर्नी जनरल जी.ई.वाहनवती ने दलील दी थी कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका का निपटारा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है,ऎेसे में इसे देरी नहीं कहा जा सकता। इस पर कोर्ट ने कहा था, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह दया याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति को उचित समय में सलाह दें। इसके बाद केन्द्र ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी,जो खारिज हो गई थी। आखिर में क्यूरिटीव पिटीशन दाखिल की गई।

पिछले हफ्ते याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एच.एल.दत्तू की अध्यक्षतवा वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा था, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री की इन लोगों ने हत्या कर दी थी। उनकी हत्या की साजिश की गई थी। इसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इनके प्रति किस तरह की दया या नरमी दिखाई जानी चाहिए,इस पर आपको गौर करना है। इनकी दया याचिका राष्ट्रपति और तमिलनाडु के राज्यपाल ने भी अस्वीकार कर दी थी। फिर अब किस तरह की दया दया की दुहाई दी जा रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार करते हुए क्यूरिटीव पिटीशन खारिज कर दी।