नई दिल्ली। स्प्रिंटर दुती चंद को खेल में हिस्सा लेने का अधिकार मिल गया है। स्पोर्ट्स के क्षेत्र में सबसे बड़ी अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिटेशन फॉर स्पोर्टस(CAS) ने दुती चंद पर लगे बैन को दो साल के लिए टाल दिया और उन्हें प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का अधिकार दे दिया। दुती ने इंटरनेशनल एथलेटिक्स फेडरेशन(IAF) के “हाइपर एंड्रोजेनिज्म” से जुड़े फैसले के खिलाफ अपील की थी। आईएएफ ने 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स से कुछ दिनों पहले दुती पर बैन लगा दिया था।

हाइपर एंड्रोजेनिज्म में शरीर से टेस्टोस्टेरोन अत्यधिक मात्रा में निकलते हैं जिससे पुरूष जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं। ऎसा जीन की वजह से होता है और महिला में सामान्य से अधिक टेस्टोस्टेरोन बनता है। दुती चंद के टेस्ट में भी ऎसा ही पाया गया था जिसके बाद उस पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद दुती ने आईएएफ के लिंग परीक्षण से जुड़े नियम के खिलाफ अपील की थी।

दुती की अपील पर सुनवाई करते हुए कास ने कहाकि आईएएफ को महिलाओं के लिए टेस्टोस्टेरोन का लेवल भी तय करना चाहिए। अगर आईएएफ भविष्य में दुती के खिलाफ नए सबूत नहीं ला सका तो उसे अपना फैसला वापस लेना होगा। इस पर दलील देते हुए आईएएफ ने कहाकि यह नियम अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी से बातचीत के बाद ही बनाए गए हैं।

19 साल की दुती चंद ओडिशा के चक गोपालपुर गांव की रहने वाली हैं और एक गरीब जुलाहे की बेटी हैं। अंडर-18 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उसने 100 मीटर की दूरी 11.8 मीटर में तय कर सबको चौंका दिया था। वह अभी आंध्र प्रदेश में अभ्यास कर रही हैं। वह कहती है कि बैन ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया था। कास के फै सले से अब एक नई उम्मीद बंधी है और अब रियो ओलंपिक मेरा लक्ष्य है।