लखनऊ। पैक्स कार्यक्रम व उपवन के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश के 17 जनपदों में आयेजित हुए सोशल आॅडिट के तथ्यों व परिणामों को लेकर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन होटल गोल्डन ट्यूलिप, हुसैनगंज, लखनऊ में किया गया। इस कार्यशाला में 17 जनपदों के 70 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

कार्यशाला में सोशल आॅडिट विभाग के उपायुक्त उमेश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि निश्चित तौर पर पैक्स कार्यक्रम एवं उपवन द्वारा किये गये सोशल आॅडिट का परिणाम अनुकरणीय है। हमें मिलकर आगे बढ़ने की जरूरत है जिससे समाज में व्याप्त अवरूवस्था को जल्द ही व्यवस्थित तौर पर सही दिशा दिया जा सके।

इसी क्रम में भारत सरकार के परामर्शदाता गुरमीत सिंह ने कहा कि मनरेगा में सरकार द्वारा कराये जा रहे कार्योंं को सही मायनों में व्यवस्थित करने का सशक्त माध्यम सोशल आॅडिट है जिससे उसकी विकृतियों को दूर कर सकारात्मक सोच के साथ उसमें स्थायित्व लाया जा सके।

सहभागी शिक्षण केन्द्र के निदेशक अशोक भाई ने मनरेगा के लिए की गई सोशल आॅडिट की प्लानिंग की बुनियादी जानकारी को साझा करते हुए कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की सोशल आॅडिट आज की आवश्यकता है। कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए आम जनता की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है जो कि तभी मुमकिन है जब आम जन को मुद्दे तथा उससे जुड़े प्रावधानों व क्रियाकलापों की जानकारी हो जिससे सरकारी योजनाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित हो सके।

वहीं पैक्स कार्यक्रम के राष्ट्रीय समन्वयक राजपाल ने बताया कि इस सोशल आॅडिट की शुरूआत इसलिए की गई ताकि कार्यक्रम क्रियान्वयन क्षेत्र में मनरेगा के मुद्दे से जुड़ी समस्याओं के लेकर बड़े मंच पर एक फोरम का निर्माण हो जो कि समुदाय में निहित चुनौतियों व समस्याओं पर कार्य कर सके।

उपवन के अशोक कुमार ने 17 जिलों में आयेाजित हुए सोशल आॅडिट की समीक्षा को सभी प्रतिभागियों के मध्य साझा किया जिसमें उन्होंने सरकार की तरफ से हुए प्रयासों, क्षेत्र स्तर पर सहयोगी संस्थाओं द्वारा किये गये प्रयासों, अवसरों, चुनौतियों सहित कुछ तथ्यों को सबके समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने बताया कि अभियान के अन्तर्गत कुल 32 पंचायतों में सोशल आॅडिट की प्रक्रिया की पहल की गई जिसमें उपवन द्वारा मात्र 11 पंचायतों में सफल तौर पर प्रकिया को पूरा किया गया। ये पंचायतें वाराणसी, महाराजगंज, श्रावस्ती, हाथरस व मऊ जनपदों की थीं।

उक्त सोशल आॅडिट प्रक्रिया के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निकल कर आये जिनमें मजदूरी के भुगतान में विलम्भ, किये गये कार्यों को स्वीकृत बजट व खर्च का विवरण न देना, जाॅब कार्ड का नवीनीकरण न किया जाना, कार्यक्रम स्थल पर सुविधाओं का आभाव तथा मास्टर रोल पर फर्जी नाम पाये गये वहीं  कार्य की गुणवत्ता के मानकों की अवहेलना खुल कर की गई है तथा कार्यों के आवंटन में भेदभाव को भी देखा गया है। 

वहीं उन्होंने सोशल आॅडिट के दौरान जिन चुनौतियों का सामना किया उनमें कार्यदायी संस्था व अधिकारियों की उदासीनता तथा गांव वालों में आपसी मतभेद व लोगों में अविश्वास का भाव परिलक्षित हुआ। कई जगहों पर प्रक्रिया के दौरान जो मुद्दे उठाये गये उसे मौके पर समाधान कर दिया गया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पैक्स कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक प्रशान्त अंचल ने कहा कि निश्चित तौर पर सोशल आॅडिट की तमाम सफलताओं, चुनौतियों व उपलब्धियों के बीच जनपद बहराइच, श्रावस्ती, संत कबीरनगर आदि में योजना अच्छी तरह से बनाई गई तथा उसे विभागीय अधिकारियों से साथ साझा किया गया जो निश्चित ही सोशल आॅडिट के परिणाम के रूप में हम देख सकते हैं।

कार्यक्रम के अंत में सबके प्रति आभार व्यक्त करते हुए राज्य कार्यक्रम अधिकारी नितेश मिश्रा ने कहा कि सरकारी कार्यक्रमों को अमली-जामा पहनाने तथा उसे सही तरीके से क्रियान्वित करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ लोगों की भागीदारी होना आवश्यक है।