अयोध्या। बाबरी मस्जिद के मुद्दई मो. हाशिम अंसारी की नजरों में नगर विकास मंत्री आजम खां एहसान फरामोश हैं। अपनी उपेक्षा से खफा हाशिम का कहना है कि आजम में गैरत नाम की कोई चीज नहीं है। हाशिम की नाराजगी का ताजा कारण बुधवार को ही चंद किलोमीटर के फासले पर ईद मिलन समारोह में आए आजम का बगैर उनका कुशलक्षेम जाने वापस हो जाना रहा।
हाशिम की मानें तो गत कई वर्षों से आजम उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। आजम पर हाशिम अपना हक यूं ही नहीं जताते हैं। वह याद दिलाते हैं कि आजम के सियासी रुतबे की बुनियाद उन्होंने ही तैयार की और वो भी उस बाबरी मस्जिद की सतह पर जिसकी दशकों से पैरवी वह खुद अकेले अपने बूते पर करते रहे। हाशिम बताते हैं कि ‘वह 90 के दशक का आखिरी दौर था। अदालती आदेश से मस्जिद का ताला खोल दिया गया था। राम मंदिर के लिए शिलापूजन, कारसेवा आदि के कार्यक्रमों से मुसलमान सकते में थे। उसे नेतृत्व की तलाश थी और इसके लिए मैंने आजम को आगे किया। इस उम्मीद में कि वे सच्चे रहनुमा साबित होंगे। बकौल हाशिम, कुछ ही वर्षों में आजम ने इस उम्मीद को तोड़ दिया। उन्होंने सपा की सरकारों में सत्ता की बंदरबांट कर अपना उल्लू सीधा किया। इसकी नजीर हाशिम स्वयं को बताते हैं।
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