उपराज्यपाल के दफ्तर ने कहा, दिल्ली में सरकार का मतलब एलजी

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली महिला आयोग में अध्यक्ष के तौर पर स्वाति मालिवाल की नियुक्ति रद्द कर दी है। इसी के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दी गई इफ्तार पार्टी में दिखी मिठास फिर खटास में बदल गई है।

उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से इस मामले में कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने फ़ाइल भेजकर नई अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में उनसे मंज़ूरी नहीं ली। एलजी कार्यालय की ओर सीएम केजरीवाल के दफ्तर को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि 2002 के गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक़ दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल है (एलजी) है। पहले भी दिल्ली महिला आयोग में नियुक्ति एलजी की मंज़ूरी होती रही हैं। वहीं, दिल्ली सरकार का कहना है कि ये नियुक्ति एलजी के अधिकार में नहीं आती।

स्वाति मालिवाल जयहिन्द ने सोमवार को ही पदभार ग्रहण किया है। वहीं मंगलवार को एलजी ने यह आदेश जारी किया है।

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जानबूझकर यह काम कर रहे हैं। उन्हें काम नहीं करना है, वह उपराज्यपाल के जरिए केंद्र से लड़ाई करना चाहते हैं।

उन्होंने बताया कि जब उन्हें हटाने की कवायद दिल्ली सरकार ने की थी तब उन्होंने सीधे उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी थी और वहां वे कारण बताने में असलफ रहे और वह अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हुए। बरखा का कहना है कि केजरीवाल को नियमों के बारे में पूरी जानकारी है।

बता दें कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में अधिकारों को लेकर जो लड़ाई जारी है उसके कई मामले दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं।

उल्लेखनीय है कि स्वाति मालिवाल जयहिन्द दिल्ली सीएम केजरीवाल की करीबी रही हैं और 2007 से उनके साथ काम करती रही हैं और फिलहाल दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद पर हैं। आरोप यह भी लगे कि स्वाति, केजरीवाल की रिश्तेदार हैं। लेकिन खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका खंडन किया।

उल्लेखनीय है कि स्वाति मालिवाल पार्टी के हरियाणा के नेता नवीन जयहिन्द की पत्नी हैं और दंपती केजरीवाल के साथ आंदोलन में सक्रिय रही है। केजरीवाल का जब योगेंद्र यादव के साथ विवाद हुआ था तब भी नवीन जयहिन्द ने तमाम वार यादव पर किए थे। बताया यह भी गया कि नवीन जयहिन्द की वजह से ही पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच में मतभेद पनपे और दरार इतनी बढ़ी की आम आदमी पार्टी ने योगेंद्र यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया।