लखनऊ: पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों को उनकी फसल बीमा के तहत भुगतान के रूप में रबी के सत्र के लिए 197.96 करोड़ रुपए प्रीमियम के मुकाबले 353 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। जनरल इश्योरेंस इण्डस्ट्री ने प्रदेश के 75 जिलों के औसतन 5,35,488 किसानो को रबी सत्र समाप्त होने के महज दो महीने के भीतर भुगतान कर दिया। बीमित किसान जो कि ऋणी और गैर ऋणी सेगमेंट के थे उन्हें संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) के तहत कवर किया गया।

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जिसने वर्ष 2003-04 में मौसम आधारित फसल बीमा योजना की शुरूआत की थी, ने भी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों के किसानों को रबी सत्र 2014-15 में बीमा सुरक्षा प्रदान की। कम्पनी ने उपरोक्त दोनों योजनाओं के तहत 1,31,187 किसानों को उनकी प्रीमियम राशि 35.34 करोड़ रुपए के मुकाबले 97.35 करोड़ रुपए का भुगतान किया। उत्तर प्रदेश में असमय वर्षा और तूफानी हवाओं के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था नतीजतन किसानों को इस साल रबी के मौसम में भारी घाटे का सामना करना पड़ा था।

संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा किसानों को बीमा सुरक्षा और वित्तीय सहायता किसी भी अधिसूचित फसल के नुकसान( चाहे एक या अधिक कारण जैसे प्राकृतिक आपदाएं, कीट, फसली रोग इत्यादि ) होने पर उपलब्ध करवाता है। यह योजना चालू वर्ष की फसल को पिछले सात सालों के औसत और उचित क्षतिपूर्ति स्तर को देख कर तुलनात्मक दृष्टि से यह भुगतान करता है।

मौसम आधारित फसली बीमा योजना के तहत फसलों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है जिसमें मौसम से सम्बन्धित कोई जोखिम यथा अधिक वर्षा या अनावृष्टि, तापमान या नमी में उतार-चढ़ाव के कारण फसल को नुकसान होना प्रमुख हैं। यह योजना मुआवजे के लिए स्वतन्त्र थर्ड पार्टी निकाय जैसे भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और नेशनल कोलेट्रल मैनेजमेंट सर्विसेज लि. (एनसीएमएसएल) द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों पर आधारित है।