कांग्रेस शासित किया बॉयकॉट, ममता और अखिलेश भी पहुंचे 

नई दिल्ली : कांग्रेस शासित नौ राज्यों के मुख्यमंत्री और पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री की आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक से दूर रहे। इस बैठक में भूमि विधेयक समेत विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। नीति आयोग की संचालन परिषद की इस दूसरी बैठक में हालांकि, राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भाग लिया।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद भी बैठक में भाग लेने वालों में शामिल रहे। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु की जे. जयललिता, ओडिशा के नवीन पटनायक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बैठक में नहीं पहुंचे। नीति आयोग की संचालन परिषद में सभी मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल हैं जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं।

इस बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ भूमि अधिग्रहण बिल यानी लैंड बिल पर चर्चा की। राज्यों ने भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव के लिए सुझाव दिए हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि पुराने भूमि अधिग्रहण बिल की वजह से भूमि अधिग्रहण में देरी हुई है। लेकिन सरकार की प्राथमिकता विकास को नहीं रुकने देने की है और विकास कार्य के लिए भूमि की जरूरत है। दूसरी तरफ कुछ मुख्यमंत्रियों ने नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने के समय पर सवाल उठाए। हालांकि सरकार भी देश के विकास के साथ समझौता नहीं करेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि केंद्र सरकार को जमीन आसानी से मिल जाती है जबकि राज्यों को जमीन आसानी से नहीं मिलती। वित्त मंत्री जेटली के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को एक राय बनाने पर जोर देने की बात कही है। लिहाजा भूमि बिल पर राज्यों के सुझाव पर गौर करेंगे।

मोदी ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत विभिन्न मुद्दों पर राज्यों के साथ विचार करने के लिए यह बैठक बुलाई थी। बैठक में गरीबी, स्वास्थ्य और केंद्र प्रायोजित योजनाओं जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाना था। कांग्रेस नेताओं ने इससे पहले कहा था कि पार्टी के मुख्यमंत्री इस बैठक में नहीं भाग लेंगे ताकि सरकार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक के साथ आगे बढ़ाने से रोका जा सके।