लखनऊ। आइजी अमिताभ ठाकुर के खिलाफ पहले मुकदमा और फिर निलंबन के बाद सरकार ने उन्हें चौतरफा घेरने की तैयारी कर ली है। उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी सेवा में रहते जनहित याचिका दाखिल करने पर मनाही को आधार बनाकर उनके द्वारा दायर 23 याचिकाओं को उनके खिलाफ हथियार बनाया जाएगा। इसके अलावा ठाकुर को दिए जाने वाले आरोप पत्र में कई महत्वपूर्ण तथ्य शामिल हैं। 

सूत्रों के मुताबिक ठाकुर के लिए तैयार आरोप पत्र में उन पर शासकीय क्षमता एवं सरकारी धन के दुरुपयोग के साथ दायर जनहित याचिकाओं में शासन के धन का अपव्यय और अफसरों के समय एवं श्रम की बर्बादी का आरोप है। उनके अध्ययन अवकाश में अध्ययन प्रयोजन मनमाने ढंग से अपूर्ण छोडऩे, अनुशासनहीनता करने और जानबूझकर वित्तीय अनियमितता का भी आरोप है। शाहजहांपुर में मारे गए पत्रकार जगेन्द्र सिंह के परिजनों से मिलकर प्रेसवार्ता और बयानबाजी का मामला भी है। इस बीच शाहजहांपुर में ठाकुर के खिलाफ एक व्यक्ति ने तहरीर भी दी है ऐसी कई और तहरीर आने के संकेत हैं। सभी में मुकदमे भी दर्ज होंगे। 

19 जून को डीजीपी मुख्यालय पर एक प्रकरण में अभियोग पंजीकृत कराने की मांग को लेकर डीजीपी मुख्यालय के बाहर ठाकुर के प्रदर्शन को अमर्यादित आचरण से जोड़ा जा रहा है। उत्तराखंड के डीजीपी के खिलाफ व्यक्तिगत जांच और 20 सितंबर 2014 को देहरादून में प्रेस कांफ्रेंस पर भी सवाल हैं। मौलिक भारत नामक गैर सरकारी संगठन के गठन के लिए नोएडा बैठक में जाने और तथ्य छिपाने आदि मुद्दों को भी सरकार आरोप पत्र में शामिल करने जा रही है। अमिताभ पर कई शिकायतों की सनसनी फैलाने और बाद में मामला झूठा निकलने का भी आरोप है। शासन स्तर पर अमिताभ के खिलाफ लंबा आरोप पत्र तैयार किया जा रहा है। इस पर जवाब मिलने के बाद अग्रिम कार्रवाई होगी।