मृत्तका के परिजनों से मिला भाजपा सांसदों का प्रतिनिधिमंडल

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के प्रतिनिधि मण्डल ने आज बाराबंकी में पुलिस की प्रताड़ना का शिकार बनी महिला नीतू द्विवेदी के गांव गाहा बसन्तपुर (सेमरवा) बाराबंकी में जाकर मृत्तका की परिजनों से भेटकर पूरे प्रकरण की जानकारी प्राप्त की। भाजपा सांसदों की जांच समिति ने पूरे मामलों में प्रथम दृष्टया अखिलेश सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका को संदेहास्पद बताते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार मामले में लीपापोती कर घटना के दोषियों को बचाने में जुटी है।

पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने बताया कि भाजपा सांसदों का प्रतिनिधि मण्डल अश्विनी चैबे के नेतृत्व में मृत्तका के गांव पहॅुचा। प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य-सांसद के रूप में एम0जे0अकबर, अर्जुन मेघवाल तथा सांसद मीनाक्षी लेखी सम्मिलित थी। प्रतिनिधि मण्डल के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता, प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, आई0पी0 सिंह एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला भी मृतका के गाॅव पहुॅचे। प्रतिनिधि मण्डल ने मृत्तका के पति-बेटे सहित अन्य परिजनों से भेंटकर उन्हें ढाढस बधाया और यह भरोसा दिलाया कि पार्टी उनके साथ खडी होकर उन्हें न्याय दिलाने का काम करेगी। घटना के बारे जांच समिति को जानकारी देते हुए मृत्तका के परिजनों ने बताया कि एक मामले में रामनरायण द्विवेदी (मृतका का पति) के रिश्तेदार  और नन्दकिशोर (मृतका का भाई) वांछित थे। थाना कोठी पुलिस ने रामनरायण को थाने में रखकर इस बात के लिए प्रताडि़त करना शुरू कर दिया कि वो अपने रिश्तेदार नंदकिशोर को हाजिर करायें। पूरी रात रामनरायण को अवैध हिरासत में रखा इससे परेशान रामनरायण की पत्नी नीतू द्विवेदी 06 जुलाई सुबह करीब 10 बजे कोठी थाने पहंुची थी। जब महिला ने अवैध रूप से हिरासत में रखे गये अपने पति को छुड़ाने थाने पहंुुची तो पुलिस ने पहले उससे 1 लाख रूपये की मांग की गयी बाद में पैसे देने में असर्मथता जाहिर करने पर एस.ओ. राय सिंह यादव और दरोगा  अखिलेश राय ने दुष्कर्म करने की कोशिश की । दुष्कर्म की कोशिश में नाकाम होने पर दोनो ने उसके शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। उसके बाद वो भाग कर थाने की गेट पर पहंुची जहां से जली अवस्था में उसे जिला अस्पताल बाराबंकी में पहुंचाया गया बाद में लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मृत्यु 07 जुलाई हो गयी।

मृत्तका के परिजनों से मिली जानकारी के आधार पर जांच समिति ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों और किन परिस्थितियों में वांछित न होने के बावजूद रामनरायण को थाने में पुलिस ने बिना लिखा-पढ़ी के रखा, यह पुलिस का पहला अपराध था। जब महिला के साथ र्दुव्यवहार और जलाने की कार्यवाही हुुई, मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में पीडि़ता का बयान दर्ज हुआ और बयान में पीडि़ता ने थाना प्रभारी राय सिंह यादव और एसआई अखिलेश राय के विरूद्ध बयान दिया जिसके आधार पर मुकदमा पंजीकृत हुआ तो फिर कानून की धाराओं के तहत अभियुक्तों की गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुई? जब कि मृत्यु पूर्व बयान ही अन्तिम बयान होता है।

जांच समिति ने मिली जानकारी के आधार पर प्रश्न उठाया कि जब घटना के तुरन्त बाद बाराबंकी के एसपी अब्दुल हमीद कहते है कि एसओ राय सिंह यादव और एसआई अखिलेश राय ने महिला के साथ अभद्रता तो की लेकिन आग महिला ने खुद लगाई तब सवाल यह उठता है कि अकेली महिला कैसे अपने शरीर पर पेट्रोल डालेगी? और कैसे आग जलायेगी। फिर यदि वह पेट्रोल और माचिस लेकर थाने में प्रवेश कर रही थी तो उसे रोका क्यों नहीं गया। साथ ही जिस तकनीकी कारण और कथित कारणों के आधार पर पुलिस अधीक्षक अब्दुल हमीद ने इस घटना को आत्महत्या करार दिये जाने की कोशिश की, उसी तकनीकी का प्रयोग करते हुए अब तक पुलिस आरोपियों तक क्यों नहीं पहंुची? राज्य के मुख्यमंत्री घटना की मजिस्ट्रेटी जांच की घोषणा करते है जनपद के पुलिस के आलाधिकारी आत्महत्या करार देने में जुटे है। फिर कैसे निष्पक्ष मजिस्ट्रेटी जांच सम्भव हो सकेगी। 

बाद में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डाॅ0 लक्ष्मीकान्त बाजपेयी सहित संासद के प्रतिनिधि मण्डल के बाराबंकी सर्किट हाऊस में पहुॅचने पर जिलाधिकारी बाराबंकी व पुलिस अधीक्षक ने भेंट की।