राज्यपाल ने कुलपति, प्रो0 जे0वी0 वैश्म्पायन की पुस्तक ‘फाइनेंशियल मैनेजमेन्ट’ का किया विमोचन 

लखनऊः  उत्तर प्रदेश के राज्यपाल,राम नाईक ने आज राजभवन में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति, प्रो0 जे0वी0 वैश्म्पायन की पुस्तक ‘फाइनेंशियल मैनेजमेन्ट’ का विमोचन किया। इस अवसर पर राज्यपाल की प्रमुख सचिव, सुश्री जूथिका पाटणकर, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति, डा0 एस0बी0 निम्से व छत्रपति शाहूजी विश्वविद्यालय, कानपुर के अन्य वरिष्ठ आचार्य व शिक्षकगण उपस्थित थे। श्री वैश्म्पयान इससे पूर्व आठ पुस्तकंे अलग-अलग विषय पर लिख चुके हैं।

राज्यपाल ने विमोचन के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का कार्यक्रम मेरे लिये कुछ विशेष कार्यक्रम है क्योंकि किसी कुलपति की पुस्तक का विमोचन कुलाधिपति द्वारा किये जाने का यह पहला अवसर है। इससे पूर्व राजभवन में अलग-अलग प्रकार के उन्तीस कार्यक्रम का आयोजन उनके कार्यकाल में किये गये है इन कार्यक्रमों में किताबों का विमोचन, भजन संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम व विद्यार्थियों एवं एन0सी0सी0 से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। 

श्री नाईक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है। आज वित्तीय नीतियाँ पूर्ण आर्थिक सुधार प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु बन चुकी हैं। भारत को 2025 तक विकसित देश बनाने के संकल्प को साकार करने के लिये तथा आर्थिक प्रगति के लिये वित्तीय एवं प्रशासनिक सुधार आवश्यक है। इस प्रकार के सुधारों की सफलता के लिये आवश्यक है कि विचार-विमर्श के साथ-साथ जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाये। वित्तीय प्रबन्धन को सफल बनाने के लिये हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा किसी भी परियोजना को पूरा करने के लिये काॅस्ट-ओवररन एवं टाइम-ओवररन पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था का रास्ता वित्तीय प्रबन्धन के माध्यम से प्रशस्त होता है। 

राज्यपाल ने कहा कि वित्तीय प्रबन्धन ठीक होगा तो तभी देश तरक्की करेगा। सुशासन के माध्यम से आर्थिक शक्ति बनने के लिये वित्तीय प्रबन्धन पर ध्यान देने की जरूरत है। देश की आर्थिक नीति अहम विषय है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है। इस योजना के माध्यम से घर में रखे पैसे बैंक में जमा होंगे तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बातों को लेकर समाज में एक नई सोच विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने ने इस अवसर पर अपने विद्यार्थी जीवन, सेवाकाल व अध्यक्ष, संसदीय लेखा समिति के अनुभवों को भी साझा किया। 

इस अवसर पर पुस्तक के लेखक एवं कुलपति, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, प्रो0 जे0वी0 वैश्म्पायन ने कहा कि छात्रों की आवश्यकता को देखते हुए एवं नवीन दृष्टिकोण देने के लिये पाठ्य पुस्तक लिखी जानी चाहिये। पहले स्वयं इतना ज्ञान हासिल करें कि कुछ नया लिखने को उपलब्ध हो। तीन वर्ष पूर्व पुस्तक लिखने की शुरूआत की थी किन्तु प्रशासनिक दायित्व को पूरा करने में विलम्ब हो गया। अपनी पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वित्त एक साधन है उसका सर्वोत्तम प्रयोग कैसे हो इस दृष्टि से पुस्तक का विषय बहुत महत्वपूर्ण है। 

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो0 एस0बी0 निम्से ने कहा कि अच्छा शिक्षक ही अच्छी पुस्तक लिख सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक छात्रों के मध्य लोकप्रिय होगी।