तीसरी बार राहत पैकेज देने पर हुआ समझौता

ब्रूसेल्स: यूरो ज़ोन के नेताओं ने सर्वसम्मति से ग्रीस के हक़ में फैसला लेते हुए तय किया है कि वे ग्रीस को बेल-आउट लोन ज़रूर देंगे। ये जानकारी यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने सोमवार को दिया है।

टस्क ने एक ट्वीट में कहा, ‘यूरो सम्मिट ने एकमत से ये निर्णय लिया है और वो ग्रीस में बदलाव और आर्थिक सुधार के लिए ESM Programme शुरू करने के लिए तैयार है।’ यूरोपियन यूनियन की तरफ़ से ग्रीस को दिया जाने वाला ये तीसरा राहत पैकेज है।

यूरो ज़ोन के नेताओं ने कंगाल हो चुके ग्रीस के भविष्य और लोन की शर्तों पर पूरी रात बहस करने के बाद ये निर्णय लिया कि ग्रीस को तीसरी बार बेल-आउट लोन दिया जाए, ताकि वो यूरो-ज़ोन का हिस्सा बना रहे।

यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों के अनुसार ग्रीस के कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं द्वारा रखी गई लगभग सभी कठिन शर्तों को मान लिया है। लेकिन वे जर्मनी की उस मांग को लगातार मानने से इनकार करते रहे, जिसके तहत ग्रीस की सरकारी संपत्ति को ज़ब्त कर बेचने का प्रस्ताव रखा गया था, ताकि ग्रीस अपना कर्ज़ चुका सके।

सिप्रास ने आईएमएफ द्वारा प्रस्तावित 86 बिलियन यूरो बेलआउट को मानने से इनकार किया, जिसमें आईएमएफ़ का पूरा रोल होगा। इस प्रस्ताव को जर्मन चांसलर एंजेला मर्किल ने भी बर्लिन के संसद में समर्थन के लिए ज़रूरी बताया था।

तक़रीबन 16 घंटे तक चली इस मीटिंग में जर्मनी, फ्रांस, ग्रीस और यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क कई बार मिले, ताकि वे अंतिम निर्णय पर पहुंच सके। इस दौरान सिप्रास को कई बार उन शर्तों को भी मानना पड़ा, जो सरेंडर की शर्तों से मिलते-जुलते थे। इन शर्तों को मानना कहीं न कहीं उनके द्वारा ग्रीस के लोगों को दिए गए उनके वादों के विपरीत था।

ग्रीस को मदद दी जाए या नहीं, अगर इस पर कोई फैसला नहीं हो पाता तो ये देश आर्थिक संकट में डूब जाता और इसके बैंक पूरी तरह से ढह जाते। इतना कि उनके सामने अपनी अलग करेंसी छापने की नौबत आ जाती। ऐसा होने पर ग्रीस यूरोपियन यूनियन से बाहर हो जाता।