चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने अपना वह विवादित आदेश वापस ले लिया है, जिसमें एक बलात्कारी और पीड़ित को समझौते का निर्देश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्णय को बड़ी गलती बताते हुए कहा था कि यह महिला के सम्मान के खिलाफ है। कोर्ट ने बलात्कारी की जमानत भी रद्द कर दी, जोकि उसे संभावित समझौते के लिए पीड़ित से मिलने के वास्ते दी गई थी।
पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट के जज पी. देवदास ने मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने एक अलग नज़रिया अपनाते हुए बलात्कार के एक आरोपी को ये कहते हुए अंतरिम ज़मानत दे दी कि वो बलात्कार पीड़िता से समझौता कर सके। वी. मोहन पर साल 2002 में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप करने का आरोप लगा था, जिसके बाद कुड्डोलौर की महिला कोर्ट ने उसे 7 साल क़ैद और दो लाख़ रुपये जुर्माना भरने का आदेश भी दिया था।
इस बीच पीड़ित एक बच्चे की मां बन गई और अकेले ही उस बच्चे की ज़िम्मेदारी उठा रही है। वारदात के वक्त़ पीड़ित नाबालिग भी थी और उसके माता-पिता नहीं थे। जस्टिस पी. देवदास ने कहा था कि वे पहले भी ऐसे एक मामले में आरोपी को ज़मानत दे चुके हैं और आरोपी ने बाद में पीड़ित से शादी कर ली।
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