लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला लगातार जारी है और प्रदेश सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने में जहां अक्षम साबित हो रही है वहीं ऐसी घटनाओं पर सख्त  कार्यवाही  करने के बजाय लीपापोती करने में जुटी हुई है तथा उसके अपने मंत्री एवं पुलिस के अधिकारी ऐसी जघन्य घटनाओं में शामिल हैं। यही कारण है कि प्रदेश में अब आम जनता की आवाज उठाने वाली मीडिया की आवाज को कुचलने का प्रयास बदस्तूर जारी है, जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है। उ0प्र0 में जिस प्रकार से मीडिया की आवाज को कुचलने के नाना प्रकार के हथियार अपनाये गये हैं वह अपने आपमें किसी भी जनतांत्रिक व्यवस्था को शर्मशार करती है।

शाहजहांपुर में पत्रकार की जलाकर हत्या किये जाने की घटना हो, कानपुर में पत्रकार की हत्या हो चाहे बाराबंकी में पत्रकार की मां की जलाकर हत्या किये जाने की घटना हो, यह घटनाएं पुलिसकर्मियों एवं सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों की मौजूदगी में और उनकी संलिप्तता में घटित हुई हैं किन्तु राज्य सरकार ने इन सभी घटनाओं में लीपापोती की है। डरा धमकाकर साक्ष्यों को बदलने से लेकर पीडि़तों की तकलीफ का लाभ उठाते हुए उनकी आर्थिक मदद कर उन्हें तोड़ा गया है और मुंह बंद करने का प्रयास किया गया है। जिसका नतीजा यह है कि प्रदेश में पूरी तरह जंगलराज कायम हो गया है और आम जनता की आवाज उठाने वाले मीडियाकर्मी स्वयं अपनी एवं सम्बन्धियों की रक्षा को लेकर अनिश्चितता का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 

कांग्रेस पार्टी इन तमाम पत्रकारों के साथ हुईं अपराधिक घटनाओं को लेकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर सदन से सड़क तक लड़ेगी। साथ ही सपा सरकार को यह चेतावनी  भी देती है कि वह जनता की, विपक्ष की  आवाज को यदि पत्रकारों को डरा धमकाकर दबाने का प्रयास कर रहे हैं  तो वह मंुह की खायेंगे और जनता का यह गुस्सा आगामी 2017 के विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित  होगी।