नई दिल्ली। देश में मुसलमानों की तेजी से बढ़ती आबादी पर काबू करना नरेंद्र मोदी सरकार के बस की बात नहीं है, यह कहना है भाजपा के सहयोगी शिवसेना का। पार्टी का कहना है कि मुसलमानों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए कहना गलत है, बल्कि मुसलमानों को भी फैमिली प्लानिंग के लिए बाध्य करना ही सही तरीका है। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार धर्मनिरपेक्ष बनने के चक्कर में ऎसा नहीं कर सकती।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र “दोपहर का सामना” में संपादकीय में यह बातें लिखी हैं। इसमें लिखा गया है कि अगर मुसलमानों पर परिवार नियोजन के लिए दबाव नहीं बनाया गया तो 25 साल में भारत में ही एक और पाकिस्तान का जन्म हो जाएगा, क्योंकि भारत में मुसलमानों की आबादी पाकिस्तान की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ रही है। शिवसेना ने लिखा, “कुछ नेताओं के मुताबिक मुस्लिम आबादी बढ़ रही है इसलिए हिंदुओं को भी अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए, यह तरीका सही नहीं है।”

इसमें आगे लिखा गया है कि “घर वापसी” का शिवसेना विरोध नहीं करती, लेकिन “इस्लामी आक्रमण” रोकने का यह सही तरीका नहीं है। गौरतलब है कि हाल ही जनगणना के आंकड़े जारी किए गए हैं जिसके मुताबिक वर्ष 2001 से 2011 के बीच देश में मुस्लिम आबाद 24 फीसदी बढ़ी है। पार्टी के मुताबिक यह बढ़ोतरी भारत की कुल आबादी की तुलना में काफी अधिक है। इस दौरान भारत की कुल आबादी में औसतन 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

शिवसेना का मानना है कि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी देश की एकता के लिए खतरा हो सकती है। पार्टी का कहना है कि लोकपाल कानून से ज्यादा जरूरी है सामान नागरिक संहिता का कानून। शिवसेना का दावा है कि न केवल असम और पूर्वी राज्यों के बल्कि हरियाणा और दिल्ली जैसे बड़े राज्यों में भी मुसलमानो की आबादी बढ़ रही है। शिवसेना की मानें तो मुस्लिम भारत पर कब्जा करना चाहते हैं। शिवसेना ने पीएम से अपील की कि उन्हें इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए।