जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था में फिलिस्तीन पर लाए गए प्रस्ताव पर मतदान से भारत पहली बार अनुपस्थित रहा। इस प्रस्ताव में पिछले साल के गाजा संघर्ष में शामिल पक्षों द्वारा जवाबदेही की पैरवी की गई है।

भारत ने कहा कि फिलिस्तीन के मकसद का समर्थन करने के उसके पुराने रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। ‘पूर्वी यरूशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने के लिए’ लाया गया प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पारित हुआ।

प्रस्ताव के पक्ष में 41 और विपक्ष में एक वोट पड़ा। पांच देश अनुपस्थित रहे। भारत के अलावा यूथोपिया, कीनिया, मैसीडोनिया और प्राग्वे ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भारत के स्थायी राजदूत अजीत कुमार ने कहा, हम रोम स्टैचूट अथवा अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में पक्ष नहीं है। इसको ध्यान में रखते हुए हम इस प्रस्ताव से अलग रहे हैं।

इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, फिलिस्तीन के मकसद को समर्थन करने के भारत के पुराने रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का संदर्भ दिया हुआ था। भारत ने आईसीसी की स्थापना वाले रोम स्टैचूट पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इस्राइल ने इस प्रस्ताव की निंदा की है।