लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि प्रदेश की नदियों पर बने बांध के रखरखाव में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। नदियों में अचानक पानी के बढने से सिंचाई विभाग की कलई खुल गई है। घाघरा नदी पर बने एल्गिन-चरसड़ी तटबंध को बचाने के लिए बनाए गए स्पर बह जाने की घटना ने सिंचाई विभाग में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है। पिछले वर्ष सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने एल्गिन-चरसड़ी बांध का निरीक्षण कर इसे दुरुस्त करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे लेकिन सभी हवाहवाई ही साबित हुए हैं।

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि पूरा सिंचाई विभाग भ्रष्टाचार की ढेर पर बैठा हुआ है. बाढ़ से बचाव में नदियों के पानी को नियंत्रित करने के लिए सभी जिले में लिफ्ट सिंचाई खंड है। आज स्थिति यह है कि लिफ्ट सिंचाई खंड के तहत आने वाले ज्यादातर पंप हाउस के उपकरण खराब पड़े हैं। पिछले वर्ष इनके देखरेख के लिए सिंचाई विभाग ने हर जिले को एक से डेढ़ करोड़ रुपए भेजे थे जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि बांधों की हालत तो और भी खराब है। राप्ती नदी के किनारे बसे गांवों की सुरक्षा के लिए बनाया गया बांध मरम्मत के अभाव में दरक रहा है। बहराइच में बेलहा-बेहरौली तटबंध की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ चुका है। इसी तरह अन्य जिलों में भी बांधों की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। मजे की बात यह है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बाढ़ नियंत्रण के नाम पर सिंचाई विभाग 1000 करोड़ से अधिक रुपए खर्च कर चुका है लेकिन एक भी नदी पर नया बांध बनकर तैयार नहीं हुआ है।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि आखिरकार यह पैसे कहां जा रहे हैं। जनवरी महीने में जारी हुई सीएजी की रिपोर्ट में भी सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार पर सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की चुप्पी संकेत कर रही है कि पैसे की बंदरबांट काफी ऊपर तक हुई है। सरकार अगर इस मामले में जरा भी गंभीर है तो वह सिंचाई विभाग में पिछले तीन वर्षों के दौरान खर्च हुए धन पर श्वेतपत्र जारी करे।