लखनऊ: अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ निषेध दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन0एच0एम0), उ0प्र0 राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ, उ0प्र0 एवं रिद्म फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘नशा एवं युवा’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन एन0एच0एम0 कार्यालय में किया गया। 

कार्यशाला की अध्यक्षता डा0 ए0बी0 सिंह, उपमहाप्रबंधक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उ0प्र0 द्वारा की गयी। सतीश त्रिपाठी, राज्य सलाहकार, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, उ0प्र0 द्वारा उ0प्र0 में तम्बाकू के बढ़ते प्रयोग पर प्रकाश डालते हुये अवगत कराया गया कि प्रदेश में चबाने वाली तम्बाकू का प्रयोग धूम्रपान से अधिक किया जाता है। प्रदेश के 25.3 प्रतिशत युवा चबाने वाली तम्बाकू यथा-गुटखा, ज़र्दा,खैनी आदि का प्रयोग करते है जहाॅ 2.3 प्रतिशत युवा सिगरेट एवं 12.4 प्रतिशत युवा बीड़ी का प्रयोग करते है।

डा0 ए0बी0 सिंह ने विषय पर प्रकाश डालते हुये अवगत कराया कि प्रदेश पर असंचारी रोगों के बढ़ने का कारण युवाओं में बढ़ रही नशाखोरी की लत है। डा0 सिंह ने बताया कि धूम्रपान, शराब सेवन, एवं अन्य प्रकार का नशा करने से व्यक्ति में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, आदि असंचारी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। असंचारी रोगों से बचाव हेतु ऐसे अस्वस्थ्यकारी/स्वास्थ्य के लिए हानिकारक शौक नही रखने चाहिए। डा0 सिंह ने इन्हे माडिफियेबल रिस्क फैक्टर बताया जिसकों कन्ट्रोल करने के फलस्वरूप असंचारी रोगों में कमी लायी जा सकती है। डा0 सिंह ने भारत सरकार के आकड़ें का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्ष 2011 में उ0प्र0 सरकार ने असंचारी रोगों के इलाज पर कुल रू0 7335.4/ करोड़ का खर्च वहन किया।

श्री ए0 रंजन (समाजसेवी), अध्यक्ष, रिद्म फाउण्डेशन ने अपने विचार रखतें हुए अवगत कराया कि शराब एवं सिगरेट बनाने वाली कम्पनिया अपना शिकार युवाओं को बनाते है, जिससे वह जीवन पर्यन्त उनके ग्राहक बने रहे। अन्त में सतीश त्रिपाठी एवं श्री ए0 रंजन ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

कार्याशाला में राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ, उ0प्र0 के कर्मचारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उ0प्र0 के कर्मचारियों समेत स्वयं सेवी संगठन के कर्मचारीगण उपस्थित रहे।