लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा ने कहा है अपने ही देश में पिछड़े दलित, मुस्लिम, ईसाई, आदिवासी कब तक नाइन्साफीए भेदभाव व जूल्म का शिकार  रहेंगे यदि अपने देश में इन्साफ व हिस्सेदारी नही मिलती तो कब तक मूल निवासी अपने ऊपर हो रहे जूल्मों को सहेंगे, सहने की भी कोई सीमा होती है। अब सर से ऊपर पानी होता चला जा रहा है। आज अपने ही देश  में यह मूल निवासी फटेहाल जिन्दगी जीने  पर मजबूर  है। आज यहां जारी एक बयान में यह जानकारी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुलहक मलिक व राष्ट्रीय महासचिव शिवनारायण कुशवाहा  ने दी।

नेता द्वय ने यह भी बताया, आजादी के बाद जितनी भी केन्द्र व राज्यों में सरकारे रही वह केवल पूंजीपतियों को ही फायदा पहुंचाया गरीबों को उतना दिया की मुश्किल से  एक वक्त का खाना खा कर जिन्दा रहे जितनी भी गरीबों के नाम से योजनायें बनी वह केवल कागजों तक सीमित रही गरीबों की दशा  दिन ब दिन बत्तर होती जा रही है। देश  के किसी भी कोने में किसी भी स्तर पर उन्हें न्याय नही मिल पा रहा है। यह कब तक होता रहेगा। मूल निवासियों को अब अपनी बदहाली  के बारे में तुरंत सोचना होगा और अपने अधिकार छिन्ने के लिए पूरे देश  में एक बड़े जन आंदोलन की ज़रुरत  है।

नेता द्वय ने कहा की आज मूल निवासी अपने ही देश  में बेगाना है, सरकार उनके बेहतरी के लिए ढि़ढौरा पिटती है, लेकिन हाथी के दाँत केवल दिखाने वाले होते है, ठीक उसी तरह गरीबों के साथ हो रहा है नेता द्वय ने केन्द व राज्य सरकारों से अपील की है, भूख की आवास पूरे देश  में एक शोला  बने उससे पहले गरीबों की भूख की आवाज केन्द व राज्य सरकार सुने वरना प्रलय आयेगी ।