नई दिल्ली। केद्र सरकार अपने नेता राम माधव से खासी नाराज है। दरअसल, राम माधव ने ट्वीट कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठाए थे। 21 जून को योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपथ पर करीब 37 हजार लोगों के साथ मिलकर योग के विभिन्न आसन किए थे।

उपराष्ट्रपति हामित अंसारी के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह (अंसारी) योग दिवस में जरूर हिस्सा लेते अगर उन्होंने बुलाया गया होता। उपराष्ट्रपति नियमित रूप से योग करते हैं और रविवार को भी उन्होंने अपने आवास पर योग किया था। सूत्रों के अनुसार, योग दिवस के आयोजन के लिए जिम्मेदार मंत्रालय अगर चाहता तो वह अंसारी को बुला सकता था, लेकिर ऎसा हुआ नहीं।

वहीं, बचाव में उतरी सरकार ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत उपराष्ट्रपति को न्योता नहीं दिया गया था। चूंकि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि थे, इसलिए उपराष्ट्रपति को न्योता नहीं दिया गया था क्योंकि जिस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि हों, वहां उपराष्ट्रपति को नहीं बुलाया जा सकता।

एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने बताया कि जिस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री अध्यक्षता कर रहे हों, उसमें उपराष्ट्रपति को नहीं बुलाया जाता क्योंकि संविधान के तहत वह पद में प्रधानमंत्री से ऊपर हैं।

सरकारी सूत्र राम माधव के ट्वीट से नाराज हैं क्योंकि उन्होंने बेवहज मामले को तूल देकर सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। सूत्रों ने पूछा कि जब उपराष्ट्रपति को कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया था, तो भाजपा नेता को ट्वीट करके इसपर सवाल खड़े करने की क्या जरूरत थी।

उल्लेखनीय है कि आरएसएस से प्रतिनियुक्ति पर भाजपा में आए राम माधव ने रविवार शाम को ट्वीट कर योग दिवस पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए थे। भजपा महासचिव ने बाद में ट्वीट डिलीट कर दिए थे। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि मुझे नहीं पता था कि उपराष्ट्रपति की तबीयत ठीक नहीं थी। लेकिन, तब तक नुकसान हो चुका था।

श्रीपद नाईक ने ट्वीट को लेकर कहा कि अनजाने में अगर कोई गलती होती है तो हम माफी मांगते हैं। इस मामले को बेवजह उठाने से बचा जा सकता था। वहीं, उपराष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा कि चंूकि प्रधानमंत्री कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, इसलिए अंसारी को नहीं बुलाया गया तो मामला यहीं समाप्त हो जाता है।

वहीं, ट्वीट ने विपक्षी पार्टियो को भी बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कहा कि ट्वीट से आरएसएस की मानसिकता का पता चलता है क्योंकि राम माधव आरएसएस से ही भाजपा में आए हैं। ये लोग योग को भी राजनैतिक रंग देना चाहते हैं। अपनी राजनीति के लिए ये लोग उपराष्ट्रपति के कार्यालय को भी बेवजह घसीट रहे हैं।

एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि मैं यह जानकर हैरान हूं कि योग दिवस पर उपराष्ट्रपति को बुलाया ही नहीं गया। इसलिए, क्योंकि वह मुस्लिम हैं। सरकार और प्रधानमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उपराष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया गया।

गौरतलब है कि राम माधव ने अपने ट्वीट में राज्यसभा टीवी पर आरोप लगाया है कि उसने योग दिवस के कार्यक्रम को नहीं दिखाया। राज्यसभा के प्रमुख होने के नाते राज्यसभा टीवी उपराष्ट्रपति के अधीन आता है। वहीं, टीवी ने आरोपों का खंडन किया है।