आपातकाल वाले बयान पर शिवसेना का सवाल  

मुंबई: लालकृष्ण आडवाणी द्वारा देश में दोबारा आपातककाल जैसे हालात की आशंका से इनकार नहीं किए जाने संबंधी बयान पर शिवसेना ने कहा कि बीजेपी के दिग्गज नेता की टिप्पणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह जानने की जरूरत है कि उनका कथन किसके लिए था।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, लालकृष्ण आडवाणी देश के सबसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने हर मौसम को देखा है और सभी उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं। आज वह भले ही मुख्यधारा की राजनीति में नहीं हों, लेकिन बीजेपी नेता और मीडिया यह जानते हैं कि उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में जब उन्होंने कहा कि आपातकाल जैसे हालात दोबारा बनने से इनकार नहीं किया जा सकता, तो चर्चा का केंद्रबिंदु वह हो गए।

उसने सवाल किया, जब आडवाणी ने आपातकाल के फिर से आने को लेकर आशंका प्रकट की है, तो वह निश्चित तौर पर किसी की ओर इशारा कर रहे हैं। अब प्रश्न यह है कि वह कौन व्यक्ति है, जिसकी ओर आडवाणी इशारा कर रहे हैं? उनके आशंका को कैसे हल्के में लिया जा सकता है?

शिवसेना ने कहा कि आडवाणी 1975 में लगे आपातकाल के साक्षी हैं, जब नेताओं को बिना पुख्ता वजहों के सलाखों के पीछे डाल दिया गया और देश में पूरी तरह अराजकता थी। बीजेपी की इस सहयोगी पार्टी ने कहा, 40 साल के बाद अचानक किस वजह से आडवाणी को यह सोचना पड़ा कि आपातकाल फिर से लग सकता है और लोकतंत्र को कुचला जा सकता है?