शारदापीठाधीश्वर हरिद्वार के जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज के हवाले से खबर छपी कि शरीर से योग का कोई संबंध नहीं हैं। योग मनुष्य के भीतर घटता है बीमारियों को योग को जोड़ना योग की अवमानना है यह ऐसी धरोहर है जिसके माध्यम से मनुष्य अनंत परमात्मा में विलीन होता है वहीं परम योग है इसके बावजूद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर 190 देशों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जायेगा और ऐसा हो भी क्यों ना आज की तारीख में जो सबसे ज्यादा प्रचार जिस चीज का कर सकता है उसे ही हर क्षेत्र में मिलती है अभूतपूर्व सफलता ऐसा ही योग के मामले में है क्योंकि पूरे विश्व में जहां तक मैं समझता हूं हर व्यक्ति दिन में कुछ समय योग जरूर करता है वह उठने बैठने नहाने, लेटने और खाने के रूप में भी होता है इसलिए योग कोई नया विषय हमारे लिए नहीं है। हां पीएम मोदी जी के आह्वान के बाद इसके कुछ बिन्दुओं सूर्य नमस्कार आदि को लेकर कुछ विवाद जरूर उत्पन्न हुए उसके बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि कुछ लोग इसका समर्थन और कुछ विरोध करके अपना नाम और राजनीति जरूर चमका रहे है।

इस्लामिक विद्वान सर्वधर्म एकता समिति से जुड़े मुक्ति शमून कासमी जहां योग की अलख जगाने में लगे है। वहीं अपनी स्पष्टवादिता और विवादित बयानों के लिए चर्चित उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां कह रहे है कि मुसलमान पुरातन काल से योग कर रहे है। भाजपा सूर्य नमस्कार पर जोर देकर इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। तो तमाम सामाजिक धार्मिक, शैक्षिक, राजनीतिक और व्यापारी संगठन योग करने के लिए भरपूर व्यवस्थाएं कर रहे है जैसे इससे पहले कभी उनके द्वारा योग किया ही न गया हो क्योंकि योग रोजगार का माध्यम भी कुछ लोगों के लिए बन गया है और कई लोग अपनी बंद पड़ी राजनीति की दुकान और समाप्त होती लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भी इसमें शामिल है। परिणाम स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग को एक बड़ा ब्रांड बना दिया गया है जिसे भुनाने में कारपोरेट जगत भी लगा हुआ हैं क्योंकि जो जितना प्रचार इसका कर लेगा और पीएम मोदी तक अपनी आवाज पहुंचा देगा वह उतने ही ज्यादा नंबर ला सकता हैं जिसका लाभ किसी न किसी रूप में भविष्य में सबको मिलना तय है और वैसे भी अगर देखें तो योग का लाभ तो होना तय है क्योंकि 190 देश योग दिवस मना रहे है। किसी न किसी रूप में उनकी सहानुभूति हमारे साथ पैदा होगी जिसका लाभ पूरे देश और देशवासियों को मिलेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी जी के साथ यूपी के मेरठ का पांच वर्षीय जैद भी योग करेगा उसे खासतौर पर बुलाया गया बताया जाता है कुछ सांप्रदायिक सौहार्द और र्सकुलर सोच के मुसलमान भी योग को बुरा नहीं मानते उनका कहना है कि सूर्य नमस्कार से या धर्म से इसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि अगर ध्यान से देखें तो इबादत के दौरान कई प्रकार के योग हम सभी करते हैं 

योग को लोकप्रिय बनाने और इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग 21 जून को भाग लें इस हेतु केन्द्र सरकार के मंत्री और भाजपा के बड़े नेता मंडल और जिलों में भेजे जा रहे हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा भीड़ इसमें जुट सकें यह बात और है कि आने वाले मंत्री और नेता वीआईपी से इस प्रकार घिरे रहेंगे कि आम की बात तो दूर खास भी इनके साथ बैठकर योग करना तो दूर सोच भी नहीं सकते। उदाहरण के रूप में मेरठ आ रहे देश के रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर आरवीसी सेंटर एण्ड कालेज के पोलोग्राउंड में योग करेंगे। पूरे कार्यक्रम में तीन हजार के लगभग फौजी भी उनके साथ योग में हिस्सा लेंगे और जहां तक है इनके पास तक वरिष्ठ वीआईपी के अलावा कोई योग करने नहीं पहुंच पायेगा। यह किसी से छुपा नहीं है कि भारतीय सेना के जवान और अधिकारी रोज ही योग और व्यायाम करते हैं और उनकी शक्ति व सामर्थ पर हर देशवासी को गर्व है लेकिन अगर आम नागरिकों के साथ रक्षामंत्री को योग में हिस्सा नहीं लेना था तो उन्हें यहां आने और भेजने की क्या आवश्यकता थी। यह विषय जो आम नागरिक में चर्चा का है उससे मैं भी सहमत हूं।

पूरा देश विरोध और समर्थन के बावजूद योगमय हो रहा है 21 जून को चारो तरफ कहीं निस्वार्थ तो कहीं निजस्वार्थ के लिए आयोजित योग शिविरों के कारण कुछ देर के लिए योगमय अपना शहर भी हो जायेगा। योग गुरू स्वामी कर्मवीर महाराज जी का यह कथन बिल्कुल सही है कि जो बाहर योग का विरोध करते हैंे वह घर में जमकर करते है योग बिल्कुल सही है ऐसे में भला किसी भी प्रकार के योग दिवस की आवश्यकता कहां थी और अगर थी भी तो इसका इतना सुनियोजित प्रचार का कोई कारण नजर नहीं आता है जबसे योग दिवस मनाने की चर्चा चली तब से साथ साथ एक चर्चा और चली कि बाबा रामदेव को बढ़ावा देने और भविष्य में एक योग मंत्रालय केन्द्र में गठित कर उसमें उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर उपकृत किये जाने के लिए योग दिवस के प्रति आम आदमी को आकर्षित किया जा रहा है जिससे अगर ऐसा हो तो कोई भी विरोधी उंगली न उठा सकें और उठाये तो उसे यह कहकर चुप करा दिया जाये कि पूरा देश में योग में विश्वास रखता है इसलिए इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा उस तक पहुंचे इस हेतु मंत्रीमंडल और मंत्री बनाये जा रहे है।

पीएम मोदी साहब कल क्या होगा क्या नहीं यह तो एक अलग बात है लेकिन आज की तारीख में यह बात कहने में कोई हर्ज नहीं है कि योग दिवस को गलत कोई नहीं बता रहा है हां जो लोग विरोध कर रहे हैं उनके इसके पीछे अपने कारण हैं मैं भी जब से होश संभाला अनपढ़ और गरीब होने के कारण कभी बोरी ढोने तो कभी रिक्शा चलाने तो कभी मजदूरी करने और बाद में घूमने फिरने व साईकिल चलाने के रूप में अपने हिसाब से योग जरूर करता हूं इसलिए यह कहा जा सकता है कि योग तो छोटे बड़े, अमीर गरीब हर व्यक्ति की जान है। पीएम मोदी जी लेकिन जिस प्रकार आपकी सरकार द्वारा हर नागरिक पर सर्विस टैक्स का आर्थिक भार डाला गया है उससे बड़े उद्योगपति से लेकर भिखारी तक प्रभावित हो रहा है क्योंकि जो भी मोबाईल चला रहा है उस पर सर्विस टैक्स लग रहा है और अब स्थिति यह हो गयी है कि अगर कोई 20 रूपये का रिचार्ज कराने जाता है तो यही सोचता रहता है कि 6 रूपये तो सर्विस टैक्स के ही लग जायेंगे 14 रूपये का चार्ज होगा पूरे समय काम कैसे चलेगा।

पीएम मोदी जी सर्विस टैक्स की टेंशन से परेशान नागरिक क्या योग करके स्वस्थ्य रह सकते है तो मेरी निगाह में तो ऐसा नहीं है अगर आप और आपकी सरकार तथा सहयोगी हर नागरिक को स्वस्थ्य रखना चाहते है तो योग कराने के साथ ही सर्विस टैक्स की टैंशन भी समाप्त करिए क्योंकि उसके चलते कितना ही योग कर लिया जाये कोई भी स्वस्थ्य नहीं रह सकता। मानसिक टैंशन के चलते कम होने के बजाये बीमारियां और बढ़ जायेंगी। यह बात विश्वास के साथ कहीं जा सकती है।                                                                                                                                                                    

 – Ravi kumar bishnoi