बरेली। पोलियो फ्री घोषित किए जाने के एक साल बाद ही में भारत में पोलियो जैसे लक्षणों के 200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में ऐसे केस देखने को मिले हैं और इनसे स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है। जिले के बहेड़ी, मीरगंज, फरीदपुर और नवाबगंज समेत अन्य तहसीलों से इन सैंपलों को आगे जांच के लिए मुंबई की सैंट्रल लाइब्रेरी भेजा गया है। रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार अधिकारियों को बताया गया है कि पांच से 15 साल के बच्चों में पैरालिसिस और हाथ-पैरों की मांसपेशियों के कमजोर होने की शिकायत है। कुछ तहसीलों में डॉक्टरों की एक टीम को प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच के दौरान पोलियो जैसे मामले मिले। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) को सूचित किया गया और 208 बच्चों के सैंपल मुंबई भेजे।

बरेली के सीएमओ विजय यादव का कहना है कि पूरे जिले में स्पेशल टीम तैनात की गई है जो ऎसे मामलों पर नजर बनाए हुए हैं। हाथ-पैर कमजोर होने का मतलब यह नहीं है कि सभी बच्चे पोलियो से पीडित है। रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि क्या बीमारी है। बरेली में पोलियो का आखिरी केस 2009 में आया था जबकि उत्तर प्रदेश में 2010 में फिरोजाबाद जिले में आखिरी केस दर्ज किया गया था।

WHO के नियमानुसार किसी भी देश किसी बीमारी के उन्मूलन के लिए वहां पर तीन साल तक उस बीमारी का कोई नया मरीज नहीं मिलना चाहिए। भारत में आखिरी बार 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में 18 महीने की रूखसार को पोलियो पीडित पाया गया था। इसके बाद पिछले साल भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था।