लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से  मुझ पर जो गलत आरोप लगाए हैं गलत और निराधार है। मौलाना कल्बे जावद ने आज शिया वक़्फ़ बोर्ड चेयरमैन वसीम रिज़वी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा शायद चेयरमैन नहीं जानते कि आखिर पैसे देकर मकान खाली करने की नौबत क्यों आई । क्योंके वक्फ बोर्ड ने अवैध कब्जे हटवाने के संबंध में कोई उचित कदम नहीं उठाये, जबकि इस संबंध में कई बार मैं और मेरे चाचा डॉ कल्बे सादिक साहब वक्फ बोर्ड के चक्कर लगाते रहे और उसके बाद डी0 एम0 और ए डी एम से बार बार मिलते रहे लेकिन वक्फ बोर्ड ने कब्जे खाली नहीं कराए न भूमि की माप कराई गई । मजबूर होकर हमें पैसे देकर मकान खाली कराने पड़े। यह सब पैसे लोगों के थे जो इमाम बाड़े की जरूरत को देखते हुए डोनेशन के रूप में दिए गए। उस समय मेरे चाचा डॉ कल्बे सादिक साहब मुवल्ली थे। उस समय डॉ कल्बे सादिक साहब ने वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार को देखते हुए 7 परसेंट कंट्रीब्यूशन बंद कर दिया था जू कई साल तक बंद रहा। मेरे आते ही बोर्ड की खस्ता हालत देखते हुए मैंने कई किश्तों में बोर्ड को लाखों रुपये दिए।

अगर बोर्ड मकान खाली कराने पर जोर देता और कोशिश करता तो न मेरे चाचा और न मुझे पैसे देकर मकान खाली कराने पड़ते शायद इमाम बाडा गुफ्राॅनमआॅब ही एक ऐसी वक़्फ़ संपत्ति  है जिसमें लगभग 70 फीसदी भूमि की वृद्धि हुई जिसकी भूमि पर मकान निर्माण हैं ये तथ्य कौम के बुजुर्ग अच्छी तरह जानते हैं। शायद वक्फ बोर्ड की दृष्टि में यही गलत हुआ कि इमाम बााड़े की संपत्ति में वृद्धि क्यों हुआ और लागों ने इमाम बााड़े की मदद क्यों की?

अगर वक्फ बोर्ड की यही स्थिति रही तो बाकी मकान भी हमें लागों की मदद से खाली कराने पड़ेंगे जिन पर अभी अवैध कब्जे हैं .क्योंकि  इमाम बाड़े के स्रोत आय सामरा अस्पताल के अलावा और कुछ नहीं है .जितने भी मकान खाली हुए हैं वह सब इमाम बाड़े के रजिस्टर में दर्ज हैं और वकफ बोर्ड में उनका हिसाब पेश किया जा चुका है .पहला मकान मौलाना असगर हुसैन मरहूम का था और अंतिम मकान मौ0 सईद का है जो इमाम बाड़े के रजिस्टर में दर्ज है।