काहिरा : मिस्र की एक अदालत ने साल 2011 की क्रांति के दौरान बड़े पैमाने पर जेल तोड़े जाने के मामले में अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहूड के सर्वोच्च मार्गदर्शक मोहम्मद बादी और 100 अन्य इस्लामियों को मौत की सजा सुनाई है। साल 2011 की क्रांति में तानाशाह हुस्नी मुबारक सत्ता से बेदखल हुए थे।

यह फैसला उस वक्त आया है जब अदालत ने मुफ्ती-ए-आजम के साथ विचार-विमर्श किया। मिस्र के कानून के मुताबिक मुफ्ती-ए-आजम मौत की सजा की समीक्षा कर सकता है लेकिन उनका फैसला बाध्यकारी नहीं होगा।

इस मामले में छह अभियुक्त सुनवाई में उपस्थित हुए जबकि 96 के खिलाफ अनुपस्थिति में सुनवाई की गई। इसी मामले में 22 अन्य अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जबकि आठ लोगों को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई। मामले में कुल 129 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। इनमें मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद साद अल कतानी, एसाम अल एरियान, मोहम्मद अल बेल्तागी और सफवत हेगाजी शामिल हैं।

अभियुक्तों के खिलाफ जनवरी, 2011 की क्रांति के दौरान कारागार की इमारतों को आग लगाने और नुकसान पहुंचाने, हत्या एवं हत्या के प्रयास तथा जेल के हथियार लूटने तथा कैदियों को जेल से भागने में मदद का आरोप था। इससे पहले आज अदालत ने जासूसी के एक मामले में मुर्सी, बादी और 15 अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इन दोनों अदालती फैसलों के खिलाफ अपील की जा सकती है।

मुर्सी सहित 36 अन्य लोगों पर फलस्तीनी संगठन हमास और लेबनानी चरमपंथी संगठन हिज्बुल्ला सहित कई विदेशी संगठनों के साथ मिलकर मिस्र की सुरक्षा को अस्थिर करने की साजिश रचने का आरोप था। इनमें मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता खौरात अल शतर, मोहम्मद अल बेल्तागी और अहमद अब्दुल अती शामिल हैं। इस मामले में 17 अन्य अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई गई है। इन लोगों पर आतंकवाद के लिए वित्तपोषण करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप था

मिस्र में हुस्नी मुबारक की सत्ता से विदाई के बाद मुर्सी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुए थे, लेकिन जुलाई, 2013 में सेना ने तख्तापलट के जरिए उनको सत्ता से बेदखल कर दिया गया। पिछले महीने अदालत ने मुर्सी, बादी और 100 से अधिक दूसरे इस्लामी नेताओं को जासूसी एवं 2011 की क्रांति के दौरान एक जेल से कैदियों के भागने के दो मामलों में मौत की सजा सुनाई थी। इन दो मामलों में सभी सजा को मुफ्ती-ए-आजम के पास भेजा गया है। मिस्र के कानून के मुताबिक मुफ्ती-ए-आजम मौत से संबंधित मामलों की समीक्षा कर सकते हैं।

इसी साल अप्रैल में मुर्सी को 2012 की झड़पों के दौरान हिंसा भड़काने और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी एवं यातना देने का आदेश जारी करने के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी।