कोरबा (छत्तीसगढ़) : जंगलों पर आदिवासियों के अधिकार को बुलंद करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की रमण सरकार पर हमला किया और उन पर ‘महज दो तीन उद्योगपतियों’ के लिए काम करने और विकास का लाभ स्थानीय लोगों तक नहीं पहुंचाने के आरोप लगाए।

राहुल ने कोरबा के खदान क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री के विकास के मॉडल पर सवाल खड़ा किया और आरोप लगाया कि इससे आदिवासियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने भाजपा को घेरने के लिए कोयले के खनन से होने वाले विस्थापन और भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा अदायगी जैसे मुद्दे उठाए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आदिवासियों से वादा किया कि वह जिस तरह किसानों के पक्ष में खड़े हैं, उसी तरह वह उनके साथ भी खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मीडिया आदिवासियों के मुद्दों को महत्व नहीं देता है।

राहुल ने कहा कि मोदीजी विकास पर बहुत लेक्चर देते हैं। विकास होना चाहिए, लेकिन मेरा सवाल है कि उस प्रक्रिया में आदिवासियों की क्या हिस्सेदारी है। विकास सभी के लिए होना चाहिए। यह महज दो-तीन उद्योगपतियों के लिए नहीं होना चाहिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि यह नहीं होना चाहिए कि उनके उद्योग खड़े हों, वे हजारों करोड़ रूपये के मुनाफे कमाएं और दूसरी तरह आदिवासी बच्चों का कोई भविष्य नहीं हो, हम भारत के आदिवासियों के लिए ऐसा भविष्य नहीं चाहते। मोदी और भाजपा पर लगातार हमले करते हुए राहुल ने आरोप लगाए, चाहे दिल्ली में चलने वाली सरकार हो या छत्तीसगढ़ की सरकार, समूची सरकारी मशीनरी दो-तीन उद्योगपतियों को बढ़ावा देने के लिए चल रही है।

उन्होंने मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का जिक्र किया जिसमें भूमि के अधिग्रहण के लिए किसानों से सहमति लेने और अधिग्रहण से पहले सामाजिक लेखा-जोखा करने के प्रावधान हटा लिए गए हैं। इसमें उस प्रावधान में भी संशोधन किया गया है कि अगर पांच साल के अंदर जमीन का उपयोग नहीं किया गया तो जमीन वापस कर दी जाएगी। राहुल ने मोदी पर हमला करते हुए चुटकी ली, यह कोई मायने नहीं रखता कि पांच साल के अंदर जमीन का उस मकसद से इस्तेमाल नहीं हुआ जिसके लिए उसका अधिग्रहण किया गया था। एक बार जब जमीन ले ली गई तो यह ले ली गई। सामाजिक लेखा-जोखा (सोशल ऑडिट) छोड़ें। इसका क्या मानी-मतलब है? कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ‘जल, जंगल, जमीन’ पर आदिवासी बहुल प्रांत के लोगों के अधिकार को बुलंद किया और कहा कि जब उत्खनन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो उनकी जीवन-रेखा जंगल उनसे छूट जाता है। इसलिए विकास में उन्हें अवश्य ही भागीदार बनाया जाना चाहिए।

राहुल ने छत्तीसगढ़ का दो दिन का अपना दौरा कोरबा जिले के कुदमुरा गांव से शुरू किया। वहां उन्होंने जंगली हाथियों का प्रकोप झेल रहे लोगों से मुलाकात की। उन्होंने हासदेव-अरण्ड कोयलाक्षेत्र का आघात झेल रहे वनवासियों और ग्रामीणों से भी मुलाकात की।