नई दिल्ली : योग में यदि कुछ बदलाव कर लिए जाएं तो मुसलमानों को इससे कोई दिक्कत नहीं होगी, ऐसा कहना है जमियत उलेमा-ए-हिन्द के नेता मौलाना महमूद मदनी का।

हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि योग को एक विशेष रंग देने का प्रयास किया जा रहा है और ‘इसी कारण दिक्कतें पैदा हो रही हैं।’ एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में मदनी ने कहा, ‘हम मुसलमानों को योग से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कुछ शब्द हैं जिनमें सुधार की जरूरत है। शारीरिक व्यायाम और जीवन पद्धति के रूप में योग के बहुत लाभ है, लेकिन इसे एक विशेष रंग दिया जा रहा है जो सही नहीं है। योग को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।’

चैनल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मदनी ने कहा, ‘यदि कुछ बदलाव कर लिए जाएं तो, ज्यादा से ज्यादा लोग योग करना शुरू कर देंगे.. यह देश के लोगों को एकजुट करने का माध्यम भी बन सकता है।’ ‘सूर्य नमस्कार’ से संबंधित अपनी चिंताओं को विस्तार से बताते हुए मदनी ने कहा, ‘सूर्य को भगवान मानना इस्लाम के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। इसे सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।’

मौलाना मदनी ने कहा कि उन्होंने खुद लंबे समय तक शारीरिक व्यायाम के तौर पर सूर्य नमस्कार किया है और यदि कुछ बदलाव कर लिए जाएं तो मुसलमानों के पास शिकायत करने की कोई वजह ही नहीं बचेगी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, 21 जून, को आयोजित समारोहों में ‘सूर्य नमस्कार’ के शामिल नहीं होने के सरकारी स्पष्टीकरण का स्वागत करते हुए मौलाना मदनी ने कहा, ‘कुछ बदलावों की जरूरत है.. श्लाकों को हटाएं, सूर्य की ओर चेहरा करके इसे (सूर्य नमस्कार) करने पर जोर ना दें और इसे सभी के लिए अनिवार्य ना करें।’

मदनी ने केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक के बयान का भी स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान श्लोकों के स्थान पर अल्लाह का नाम ले सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान, भारतीय मुसलमान इस देश में रहे हैं और इसके लिए जान दे सकते हैं, की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों के लिए दो चीजें बहुत महत्वपूर्ण है, ‘ईमान’ और देश। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय मुसलमान देश के लिए जीते हैं और इसके लिए जान दे सकते हैं।’