लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सपा सरकार के दो पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ए.सी. शर्मा और ए.एल. बनर्जी द्वारा पुलिस कर्मियों की तैनाती में घूस लेना बगैर किसी सरकारी संरक्षण के संभव नहीं है। 

प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि लंबे समय तक डीजीपी रहे ये दोनों अधिकारी समाजवादी पार्टी (सपा) के कुछ वरिष्ठ नेताओं के काफी चहेते थे। इस बात की जांच होनी चाहिए कि ये पुलिस अधिकारी घूस में लिए गए पैसों कितना हिस्सा सपा सरकार में अपने आकाओं को पहुंचाते थे ? 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि इस प्रकरण ने यह बात साफ कर दी है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री घूसखोरों और दलालों के आगे दबाव में हैं। वर्ष 2014 के आइएएस वीक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अधिकारियों के सामने बताया था कि किस तरह से उन्होंने एक अधिकारी से घूस के पैसे वापस करवाए थे। इस वर्ष के आईएएस वीक में भी उन्होंने व्हाट्सअप के जरिए मोबाइल पर एक अधिकारी द्वारा घूस मांगे जाने का वीडियो होने की जानकारी दी थी। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अगर उसी वक्त इन अधिकारियों सख्त कार्रवाई कर देते तो दूसरे अधिकारियों की घूस लेने की हिम्मत ही नहीं पड़ती। लेकिन मुख्यमंत्री के ढुलमुल रवैये ने प्रदेश में भ्रष्टाचार की बाढ़ ला दी है। अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं। घूसखोरी चरम पर है और जनता को अपना काम कराने के लिए हर स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों की जेबें गरम करनी पड़ रही हैं। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि बात केवल अधिकारियों तक ही सीमित नहीं। आगरा में पकड़ा गया सपा नेता शैलेंद्र अग्रवाल तो इस गंदे तालाब की एक मछली भर है। भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सपा सरकार में ऐेसे कई दलाल सत्ता के गलियारों में सक्रिय हैं। कई तो खुद को टीम अखिलेश का सदस्य तक भी बताते फिरते हैं। यूपी में सपा सरकार बनने के दौरान साइकिल या मोटरसाइकिल से चलने वाले ये नेता आज लक्जरी गाडियों के मालिक हैं। यह सब कैसे हो रहा है? कहां से इनके पास पैसे आ रहे हैं? 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यदि अपनी सरकार और पार्टी में फैल रहे भ्रष्टाचार को लेकर जरा भी गंभीर हैं तो वह अपने पार्टी के नेताओं की आय के स्रोत की जांच कराएं। मुख्यमंत्री इस बात का भी जवाब दें कि उनकी सरकार में अबतक कितने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है? यह भी बताएं कि क्या प्रदेश में कोई ऐसा विभाग है जहां बगैर पैसा लिए काम होता है? अखिर सपा के नेताओं को ऐसा कौन सा मंत्र मिल गया है कि वह पिछले तीन वर्षों में मालामाल हो गए हैं?